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#Mahatmagandhi
साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देगा, बंटवारे की विभीषिका को स्मृति दिवस के रूप में याद करना
हम अपना स्वाधीनता दिवस 15 अगस्त को मनाते हैं और हमारा पड़ोसी पाकिस्तान 14 अगस्त को। भारत के लोगों ने आज़ादी हासिल करने के...
भगत सिंह और उनकी शहादत आज भी प्रासंगिक
सावरकर और भगत सिंह में कोई तुलना नहीं है। अपने जीवन के शुरुआती दौर में भले ही सावरकर ने ब्रिटिश सरकार से लोहा लिया हो परंतु कालापानी की सजा मिलने के बाद तो वे पूरी तरह से अंग्रेजों के आगे नतमस्तक हो गए थे। उन्होंने कई दया याचिकाएं लिखीं और जेल से रिहा किए जाने के बाद अंग्रेजों की मदद की। उन्हें सरकार की ओर से 60 रूपये प्रतिमाह की पेंशन मिलती थी। उस समय सोने का दाम 10 रूपये प्रति दस ग्राम था।

