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Munija Rafiq Khan
दम तोड़ रहा है पूर्वांचल का हथकरघा कारोबार, कला के कारीगर मजदूरी करने को मजबूर
जरदोज़ी का काम अब सिर्फ मजदूरी का काम बन गया है। लोग इस काम के अंतिम रूप को देखते हैं और अक्सर इसमें लगी मेहनत और कौशल को देख नहीं पाते। लॉकडाउन के पहले रोजाना 12 घंटे का काम मिलता था। अब रोजाना 8 घंटे का काम मिलता है। कई सारे कारखाने बंद हो रहे हैं। मंदी की हालत में लोगों को जैसा भी काम मिल रहा है, वही करने लगे हैं।

