आज राजनैतिक कारणों से इस सोच को बढ़ावा दिया जा रहा है कि मांसाहार करने वाले नफरत के पात्र हैं। हम बिना अतिश्योक्ति के खतरे के कह सकते हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय को खलनायक सिद्ध करने के लिए शाकाहार का सामाजिक और राजनैतिक हथियार के रूप में प्रयोग किया जा रहा है।