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महाराष्ट्र में गोंडी बोलने और पिज़्ज़ा खाने की कीमत कैसे चुका रहे हैं आदिवासी
सरकार लगातार आदिवासियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बड़ी बड़ी योजनाएं और वादे कर रही है लेकिन महाराष्ट्र में पढ़ने वाले आदिवासी बच्चों के लिए जिस तरह के निर्णय लिए जा रहे हैं, उससे सरकार की मंशा पर सवाल उठना वाजिब है। जबकि संविधान में सभी समुदायों को सभी स्तरों पर, अपनी प्राचीन भाषा हो या आधुनिक खानपान, सबको समान न्याय और अधिकार मिले हुए हैं। महाराष्ट्र के एक आदिवासी गाँव में गोंडी भाषा पढ़ने वाले स्कूल को प्रतिदिन दस हज़ार रुपये जुर्माना भरने की सज़ा सुनाई गई है। इसी तरह नासिक क्षेत्र में पिछड़े वर्ग के छात्रावास में रहने वाली एक लड़की को पिज़्ज़ा खाने के कारण निलंबित कर दिया गया है। क्या ऐसा करना संविधान के खिलाफ नहीं है? लेखक प्रमोद मुनघाटे ने अपने इस लेख में इन्हीं सवालों को उठाया है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा के खिलाफ गूँजेगी जन संगठनों की साझी आवाज
भाजपा को हराने के लिए जन संगठनों का साझा मंच पूरे राज्य में चलाएगा अभियान
रायपुर। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा और जन संघर्ष...

