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महिलाओं के सामने मुश्किल है हिंसा या गरीबी में से एक को चुनना
स्विनबर्न विश्वविद्यालय के एक हालिया अध्ययन में 80 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि उनके पूर्व-साथी ने अलग होने के बाद शारीरिक शोषण के स्थान पर वित्तीय शोषण करना शुरू कर दिया। यह समस्या निःसंदेह भयानक है, फिर भी ऐसा नहीं है कि इससे निपटा नहीं जा सकता। इसे नीतियों, कानूनों, सामाजिक आवास में निवेश में वृद्धि आदि कदमों से कम किया जा सकता है।
क्या भूमिहीन जातियों के लिए जमीन का बंदोबस्त कर पायेगी जाति जनगणना
उत्तर भारत की राजनीति में जाति जनगणना की बात लंबे समय से चल रही थी। कभी लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, गोपीनाथ मुंडे और...
बिहार में आज भी हैं हजारों परिवार भूमिहीन, दबंगों से सरकार भी नहीं छीन पा रही है सरकारी जमीन
गोपालपुर तरौरा गांव के 45 वर्षीय शिवनंदन पंडित के परिवार में चार से छह लोग रहते हैं। एस्बेस्टस के एक छोटे से मकान में...