TAG
#rajendrayadav
राजेंद्र यादव की शख्सियत
राजेंद्र यादव के बिना बीसवीं शताब्दी के हिन्दी साहित्य की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होने एक उपन्यासकार , कथाकार , आलोचक , चिंतक...
मूलचन्द सोनकर से बातचीत : जैसी घटनाएँ हो रही हैं वैसे में संगीत सुनकर लगता है जैसे कोई मुझे गालियां दे रहा हैं
अपर्णा -
कवि-आलोचक मूलचन्द सोनकर से बातचीत हमेशा न सिर्फ मजेदार होती थी बल्कि उसमें तुर्शी और तल्खी भी पर्याप्त होती थी। वह बहुत अच्छे अध्येता थे। बनारस ही नहीं देश के गिने-चुने अध्येताओं में उनका शुमार होना चाहिए। उनके लेखन में आए संदर्भों से बाहर भी उनकी एक दुनिया थी। उन्होंने समकालीन भारतीय साहित्य का व्यापक अवलोकन किया था इसीलिए वे तल्ख बोलते और लिखते थे। ठकुरसुहाती करना उनका स्वभाव न था। अपर्णा द्वारा लिया गया उनके जीवन का यह पहला और अंतिम साक्षात्कार है। प्रस्तुत है शेष अंश।