जैसे-जैसे ये प्रचारक आरएसएस की राजनैतिक व अन्य शाखाओं में उच्च स्तर पर पहुँचते जाते हैं, उन्हें अपने अन्दर भरी नफरत को मीठी चाशनी में लपेट कर परोसना सिखाया जाता है। इसी के चलते आरएसएस के मुखिया कहते हैं कि देश के सभी निवासी हिन्दू हैं और वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना पर जोर देते हैं। यहाँ तक कि इससे प्रभावित होकर कई चिंतकों और अध्येताओं को लगने लगता है कि आरएसएस के साथ संवाद स्थापित किया जाना चाहिए।
एक लोकतान्त्रिक देश में वोट बहुत महत्वपूर्ण है और इसे नागरिक को जन्म से मिलने वाला बुनियादी अधिकार समझा जाता है। आंकड़ों के अनुसार 184 (90 प्रतिशत) लोगों के पास वोटर पहचान पत्र था। 20 लोगों (10 प्रतिशत) के पास वोटर कार्ड नहीं था। इनसे जब वोटर पहचान पत्र नहीं रहने के कारण के बारे में पूछा गया तो कुछ लोगों ने फॉर्म भरने के बारे में कहा तो कुछ लोगों ने बताया कि कुछ तकनीकी कारणों से उनका आवेदन नहीं पूरा हुआ तो कुछ ने बताया कि कुछ गलतियों या उपयुक्त दस्तावेज नहीं रहने के कारण आवेदन खारिज कर दिया गया है।