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University of Birmingham
बर्मिंघम निवासी दौलता राम बाली ने अंबेडकरवादी आंदोलन को बहुत मजबूत बनाया
दौलता राम बाली से मेरी पहली मुलाकात 2011 में हुई थी। उस समय मैं बर्मिंघम विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में भागीदारी के लिए गया था। सम्मेलन के बाद मुझे समाज वीकली पत्रिका के संपादक और अम्बेडकरवादी देविंदर चंदर के घर पर रुकना था। देविंदर बहुत पुराने अम्बेडकरवादी हैं। उनके पिता मान्यवर कांशीराम के साथ काम कर चुके हैं। बर्मिंघम मे देविंदर 'समाज वीकली' और एशियन इंडिपेंडेंस नामक दो पत्रिकाओं का सम्पादन करते हैं। देविंदर और डीआर बाली मुझे यूनिवर्सिटी गेस्ट हाउस में लेने के लिए आए थे। सबसे पहले हम लोग बाली साहब के घर पहुँचे। शाम के लगभग सात बजे थे। उनकी पत्नी ने मेरे लिए समोसे और अन्य व्यंजन बनाये थे। नाश्ते के बाद उन्होंने हमसे डिनर के लिए पूछा। रात्रि भोज समाप्त होने के बाद ही उन्होंने गेस्ट हाउस के लिए निकलने अनुमति दी।