दुनिया भर में स्वास्थ्य और दवाओं को लेकर नए नए अनुसंधान जरूर हो रहे हैं लेकिन घटिया और नकली दवाओं के कारण अनेक बीमारियाँ लाइलाज हो रही हैं। साथ ही दवा प्रतिरोधक रोग से अधिक रोगी इलाज के अभाव में मर रहे हैं। यह खतरा केवल मनुष्यों के जीवन पर ही नहीं है बल्कि मवेशियों और पशुधन पर भी बढ़ा है। वैसे भी देर हो चुकी है लेकिन सतर्कता फिर भी जरूरी है।
युद्ध किसी समस्या का हल नहीं होता लेकिन दूसरे देश पर कब्जा करने की हवस युद्ध को बढ़ावा देती है। इसका खामियाजा आम नागरिकों को सहना पड़ता है। पिछले एक वर्ष से इजरायल व फिलीस्तीन के बीच चल रहे युद्द में तबाही के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र(भाषा)। इजराइल-हमास संघर्ष संबंधी प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहे भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि आतंकवाद ‘हानिकारक’ है और उसकी...
अर्थशास्त्री लुकास चांसेल और थॉमस पिकेटी द्वारा किये गये अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि 1922 के बाद से भारत में आय की असमानता का स्तर उच्च स्तर पर पहुंच गयी है। इसी प्रकार से इस साल के शुरुआत में ऑक्सफैम द्वारा जारी किये गये रिपोर्ट से पता चलता है कि भारतीयों की महज 10 प्रतिशत आबादी के पास कुल राष्ट्रीय संपत्ति का 77 प्रतिशत हिस्सा है। दरअसल भारत में यह असमानता केवल आर्थिक नहीं है, बल्कि कम आय के साथ देश की बड़ी आबादी स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा जैसे मूलभूत जरूरतों की पहुंच के दायरे से भी बाहर है।