कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में अंतरिक्ष विज्ञानियों की एक बैठक को संबोधित किया। यह बेहद महत्वपूर्ण संबोधन था। यह इसके बावजूद कि नरेंद्र मोदी की बातों में गंभीरता नहीं होती, लेकिन कल के उनके इस संबोधन में उनकी हुकूमत की अंतरिक्ष विज्ञान के संबंध में नीति के बारे में जानकारी तो मिलती ही है। लेकिन जनसत्ता को विज्ञान से परहेज है। उसने इस खबर को ही गायब कर दिया है और पहले पन्ने पर अमित शाह के बयान को प्रमुखता दी है, जिसमें उनके द्वारा महाराणा प्रताप के उपर एक किताब के विमोचन का उल्लेख है।

भारत सरकार अपने यहां भाषायिक विविधता को खत्म कर “एक देश और एक भाषा” को महत्व देना चाहती है। लेकिन यही भारत सरकार भाषायिक विविधता का सम्मान करती है जब संयुक्त राष्ट्र महासभा में यह प्रस्ताव आता है कि संघ की गतिविधियों और सूचनाओं का अनुवाद हिंदी सहित अन्य भाषाओं में किया जाएगा। वैसे यह महत्वपूर्ण है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलहाल छह भाषाओं को आधिकारिक भाषा का दर्जा हासिल है।

नवल किशोर कुमार फ़ॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं।
‘अपने देश’ की अधूरी चाह लिये तुर्की के विस्थापितों का सिनेमाई आख्यान
[…] […]