ग़सान कनाफ़ानी को याद करने की वजह सिर्फ़ यह नहीं है कि उनके साहित्य की बारीकियों को समझा जाए और उसके कलात्मक अवदान को समझा जाए बल्कि आज के दौर में कनाफ़ानी को याद करने का अर्थ है फ़िलिस्तीनी मुक्ति संघर्ष के साथ एकजुटता ज़ाहिर करना और उस फ़िलिस्तीन को बेहतर तरह से समझना जो आज लगभग आठ दशकों से इस तथाकथित आधुनिक दुनिया में इज़राएल के ज़ुल्मों को सहते हुए अपनी ही जमीन पर ग़ुलामों की तरह रहने पर मजबूर है।
दो देशों के युद्द में सबसे ज्यादा तबाह वहाँ के नागरिक होते हैं। इजरायल और फिलिस्तीन एवं रूस व उक्रेन में यह देखा जा सकता है। इजरायल फिलिस्तिनियों को पूरी तरह ज़मींदोज़ कर उनकी हस्ती मिटाना चाहता है और यह कर भी रहा है। इजरायल के लगातार हमले से फिलिस्तीनी नागरिक मर रहे हैं। अब बच्चों को भी निशाना बनाया जा रहा है। पिछले नौ महीने में 37 हजार बच्चे मारे गए। यह बहुत ही गैर जिम्मेदाराना हरकत है।