Sunday, September 8, 2024
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राकेश कबीर

लुटेरे बन्दर और अन्य कविताएं

राकेश कबीर अल्हदा मिजाज़ के कवि  हैं। वह कविता को  रचते नहीं हैं बल्कि मन की अंगीठी पर समझ की सघन आंच से कविता...

दौलत के दम पर कोख खरीदता पूंजीवाद

 भारतीय समाज के पिछले सौ साल के समय को ध्यान से देखें तो सन्तान पैदा न होने पर दो या तीन शादियाँ करने का...

सवाल पूछता एक बेचैन युवा

इकहरे शरीर और विनम्र व्यवहार के साथ फिल्मी दुनिया में धीरे-धीरे रच-बस जाने वाले डॉ. सागर ने हिन्दी सिनेमा में अपनी एक पुख्ता पहचान...

नदियों के बहने से ही जीवन का प्रवाह अविराम होगा !

देवरिया जनपद में बिहार राज्य की सीमा पर स्थित ‘स्याही नदी’ अपने नाम और वर्तमान स्थिति के कारण एक अनोखी नदी है। सन1916-17 में अंग्रेजों के जमाने में की गयी चकबंदी में बीस किमी लम्बाई में लगभग 300 मीटर चौड़ाई वाली महानदी स्याही के समस्त प्रवाह क्षेत्र को एक राजस्व ग्राम ‘मोहाल स्याही नदी’ के रूप में दर्ज कर उसके भीतर किसानों के कृषि कार्य हेतु चक आवंटन करना आश्चर्यचकित करने वाली घटना है।

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