Thursday, March 13, 2025
Thursday, March 13, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमTagsरामशंकर विद्रोही

TAG

रामशंकर विद्रोही

विद्रोही का आक्रोश छाती पीटने वाला आक्रोश नहीं है

वह मोहनजोदड़ो की आखिरी सीढ़ी से शीर्षक कविता के माध्यम से स्त्री-अस्मिता के सवालों से साहस के साथ टकराते हैं। वह दिखलाते हैं कि जिन साम्राज्यवादी सभ्यताओं पर हम गर्व करते हैं वह स्त्रियों और आम इंसानों की लाशों पर खड़ी हुई हैं। वह एक तरह से दुनिया की सारी सभ्यताओं को कटघरे में खड़ा करते हुए सवाल उठाते हैं कि आखिर क्या बात है कि हर सभ्यता के मुहाने पर औरत की जली हुई लाश और इंसानों की बिखरी हुई हड्डियाँ मिलती हैं। यह अमानवीयता केवल मोहनजोदड़ों तक सीमित नहीं है; यह बेबीलोनिया से लेकर मेसोपोटामिया तक, सीथिया की चट्टानों से लेकर सवाना के जंगलों तक फैली हुई है।

ताज़ा ख़बरें