Saturday, December 27, 2025
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दिल्ली में दो-दिवसीय युवा सोशलिस्ट सम्मेलन का आयोजन

समाजवादी आंदोलन के 90 साल पूरा होने के ऐतिहासिक मौके पर युवा सोशलिस्ट पहल के तत्वावधान में  दिल्ली में 31 अक्तूबर (आचार्य नरेंद्रदेव जयंती दिवस) से 1 नवंबर 2025 को दिल्ली में दो दिन के युवा सोशलिस्ट सम्मेलन का आयोजन किया गया है। सम्मेलन राजेंद्र भवन (गांधी शांति प्रतिष्ठान के सामने), दीनदयाल उपाध्याय मार्ग नई दिल्ली) में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक होगा।

आरएसएस ने भारत की आजादी में हिस्सा लेते हुए कौन सी कुर्बानियाँ दीं

आरएसएस के सौ वर्ष पूरे होने पर मोदी ने अपने भाषण में कहा कि देश की आजादी के लिए बड़ी-बड़ी कुर्बानियां दीं और चिमूर जैसे कई स्थानों पर ब्रिटिश शासन का विरोध भी किया। उनके अनुसार राष्ट्र निर्माण में संघ का जबरदस्त योगदान है। लेकिन संघ का राष्ट्रवाद ‘अलग‘ था यह तब स्पष्ट हुआ जब पंडित नेहरू ने 26 जनवरी, 1930 को तिरंगा फहराने का आव्हान किया। हेडगेवार ने भी झंडा फहराने का आव्हान किया, किंतु भगवा झंडा फहराने का। हेडगेवार नमक सत्याग्रह में शामिल हुए थे क्योंकि उन्हें लगा कि यह जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानियों को अपने संगठन की ओर आकर्षित करने का एक अच्छा अवसर है। इसलिए उन्होंने सरसंघचालक के पद से इस्तीफा दिया, जेल गए और जेल से रिहा होने के बाद दुबारा वही पद ग्रहण किया। इस दौरान उन्होंने अन्य लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के प्रति हतोत्साहित किया। एक संगठन के रूप में आरएसएस ने किसी भी ब्रिटिश विरोधी आंदोलन में भाग नहीं लिया।

राजस्थान : माहवारी के लिए सुविधा की सरकारी योजनाओं से वंचित हैं लड़कियां

माहवारी से जुड़ी चुनौतियाँ केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं हैं बल्कि यह सीधे शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक समानता से जुड़ा मुद्दा है। जब लड़कियाँ पैड की कमी के कारण पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर होती हैं, तो यह केवल उनका नुकसान नहीं बल्कि पूरे समाज का नुकसान है। सरकार और समाज यदि मिलकर सुनिश्चित करें कि हर गाँव में पैड और स्वच्छता सुविधाएँ समय पर उपलब्ध हों, तो लाखों लड़कियों का जीवन आसान हो सकता है

‘अडानी भगाओ छत्तीसगढ़ बचाओ’ के नारे के साथ संयुक्त किसान मोर्चा ने मनाया कॉर्पोरेट विरोधी दिवस

किसान मोर्चा के नेताओं नेअपने विरोध प्रदर्शन में कहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार को अपनी कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के विरोध में आम जनता और किसान समुदाय का तीखा विरोध झेलना पड़ेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने भाजपा की मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ पूरे प्रदेश में किसानों और आदिवासियों को लामबंद करने की योजना बनाते हुए आज कॉर्पोरेट विरोधी दिवस मनाया गया।

राजस्थान : केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना से भी नहीं हुई धुआँ मुक्त रसोई

2016 में केंद्र सरकार की शुरू की गई उज्ज्वला योजना के बड़े-बड़े होर्डिंग में लाभार्थियों के आँकड़े करोड़ों में दिखते हैं लेकिन जमीनी वास्तविकता कुछ और ही है। एक बार लोगों को सिलेंडर जरूर मिले लेकिन दुबारा गैस भरवाने के लिए पैसे न होने की वजह से चूल्हे पर ही खाना पकाने का काम गाँव की महिलाएं कर रही हैं। परिणाम आज भी इन्हें धुएं झेलते हुए खाना बनाना पड़ रहा है, जो इन महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

ओमप्रकाश वाल्मीकि का साहित्य भोगा हुआ यथार्थ है – प्रो. नामदेव

ओमप्रकाश वाल्मीकि दलित साहित्य के बड़े रचनाकार थे। उन्होंने जो जिया और भोगा वही लिखा। 30 जून को उनके जन्मदिन के अवसर पर पाँचवें ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान समारोह का आयोजन हुआ।

घरेलू हिंसा : घड़सीसर गाँव की इस कुप्रथा के खिलाफ़ सामाजिक जागरूकता की जरूरत है

यह विडंबना है कि हमारे देश में महिलाएं सबसे अधिक घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं। घर की चारदीवारी के अंदर न केवल उन्हें शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी प्रताड़ित किया जाता है और फिर घर की इज़्ज़त के नाम पर महिला को ही चुप रहने की नसीहत दी जाती है। हालांकि महिलाओं, किशोरियों और बच्चों पर किसी भी प्रकार की हिंसा करने वालों के खिलाफ कई प्रकार के सख्त कानून बने हुए हैं।

राजस्थान : सरकार की ओडीएफ मुक्त योजना अभी भी हजारों गाँव से दूर

सरकार ने अनेक योजनाएं लागू की हैं लेकिन धरातल पर उतर कर देखें तो वे सफल नहीं हो पाईं। ऐसी ही एक योजना है खुले में शौच से मुक्ति दिलाने की, जिसमें सरकार की तरफ से 12 हजार रुपए मिलते हैं लेकिन इसके बाद भी हजारों घरों में शौचालय के नाम से चारदीवारी और छत के नाम पर शेड डाल दिया गया है क्योंकि कोई भी शौचालय 12 हजार रुपए में तैयार नहीं हो सकता और जिन्हें पैसा मिलता है उनकी इतनी हैसियत नहीं होती कि खुद का पैसा लगाकर उसे बनवा पाए। इस वजह से आज भी हजारों लोग खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है।

दहेज के नाम पर प्रतिदिन लगभग 20 लड़कियां मारी जा रही हैं

बरसों से शादी के समय दिए जाने उपहार भले ही लड़कोयों को दिए जाते रहे हों लेकिन वास्तव में यह दहेज है, जिसे लड़के वाले मुंह खोलकर मांगते हैं, जैसे अपने बेटे की बोली लगा रहे हों। लड़कीं के माता-पिता, बेटी खुश रहेगी इसके चलते उनकी मांग पूरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ते लेकिन इसके बाद भी दहेज के नाम पर लड़कियों की हत्याएं आए दिन सुनने को मिल रही है। साल 2017 से 2021 के बीच देश भर में दहेज के नाम पर करीब 35,493 हत्या के मामले दर्ज किए गए थे, यानी प्रतिदिन लगभग 20 मामले दहेज के नाम पर होने वाली हत्या के दर्ज किए गए, जो बहुत ही चिंता की बात है।

युवाओं में नशे की आदतों के बढ़ने की वजह से जीवन के खतरे भी बढे

आज अंतर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस (26 जून) है। कोई भी अभिभावक नहीं चाहता कि उनका बच्चा नशा का आदी बने लेकिन आज बच्चों और युवाओं में नशे करने की आदतों में लगातार वृद्धि हो रही है। नशे के कारण स्वास्थ को नुकसान तो हो ही रहा है साथ ही सड़क दुर्घटनाओं में भी वृद्धि हो रही है। बढ़ते नशे की आदतों को जानकार उस पर रोक लगाने की जरूरत है 

सामाजिक न्याय और कबीर के विचारों से प्रेरित अध्यापक कुमर किशोर का प्रयाण

मधेपुरा में जन्मे और वहीं अध्यापक रहे कुमर किशोर न केवल एक अच्छे अध्यापक रहे बल्कि एक आदर्शवादी पिता भी थे। उन्होंने बहुत कठिन स्थितियों का सामना करते हुये भी अपने मूल्यों और मान्यताओं से समझौता नहीं किया। वे सामाजिक न्याय के प्रबल पक्षधर और भौतिकवादी नज़रिये से दुनिया को देखने वाले इंसान थे। कुमर किशोर हमेशा मानते रहे कि विचार केवल सजावटी अवधारणा नहीं हैं बल्कि व्यवहार में लागू किए जानेवाले सूत्र हैं। विगत दिनों बनारस में 76 वर्ष की आयु में उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा। उनके बेटे प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो डॉ ओमशंकर द्वारा उनके बारे में साझा किए गए विचारों पर आधारित अपर्णा का यह स्मृतिलेख।
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