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छत्तीसगढ़ : ‘हर गांव में किसान सभा और किसान सभा में हर किसान’ के नारे के साथ 2 मार्च को होगा छग किसान सभा का आयोजन

सरगुजा के सूरजपुर में अखिल भारतीय किसान सभा ने 2 और 3 मार्च को किसानों का पांचवां सम्मलेन आयोजित करने जा रही है. जिसमें किसानों, मजदूर और आदिवासियों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत होगी.

रायपुर। अखिल भारतीय किसान सभा से संबंधित छत्तीसगढ़ किसान सभा का 5वां राज्य सम्मेलन 2-3 मार्च को सूरजपुर जिले के कल्याणपुर गांव में आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन में राज्य के विभिन्न जिलों से निर्वाचित 150 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। सम्मेलन का उदघाटन किसान सभा के महासचिव विजू कृष्णन करेंगे और समापन संगठन के संयुक्त सचिव अवधेश कुमार करेंगे। सम्मेलन में किसान सभा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव और छत्तीसगढ़ प्रभारी अवधेश कुमार और बादल सरोज भी हिस्सा लेंगे।

यह जानकारी छत्तीसगढ़ किसान सभा के संयोजक संजय पराते ने दी। उन्होंने बताया कि किसान सभा इस समय देश का सबसे बड़ा किसान संगठन है, जिसकी सदस्यता 2 करोड़ है और संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ चलाए जा रहे साझा आंदोलन की धुरी बना हुआ है। विश्व व्यापार संगठन की बैठक की पृष्ठभूमि में आयोजित हो रहे इस सम्मेलन में मोदी सरकार की किसान और कृषि विरोधी नीतियों के खिलाफ देशव्यापी संघर्ष को मजबूत करने, प्रदेश में खेती-किसानी से जुड़े मुद्दों पर आंदोलन को व्यापक बनाने और किसान सभा संगठन को मजबूत करने जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ कृषि संकट से जूझ रहा है। भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों की सबसे ज्यादा मार सीमांत और लघु किसानों और आदिवासी और दलितों पर पड़ रही है। यही कारण है कि किसान आत्महत्याओं के मामले में यह राज्य देश में 5वें स्थान पर है। एनएसएसओ का सर्वे यह बता रहा है कि छत्तीसगढ़ में एक ग्रामीण परिवार का औसत मासिक व्यय मात्र 2446 रूपये है, जो पूरे देश में सबसे कम है जबकि वर्ष 2022-23 में ग्रामीण परिवारों का औसत मासिक खर्च 3777 रुपया था और शहर में रहने वालों का औसत खर्च 6459 रुपया था। लेकिन छतीसगढ़ में औसत खर्च का आंकड़ा यह बताता है कि उनकी स्थिति सामान्य से भी कम है। इस सर्वे ने प्रदेश के कथित विकास के दावे की पोल खोल दी है।

किसान सभा नेता ने बताया कि इस सम्मेलन में किसानों, मजदूरों और आदिवासियों के हित की बात की जाएगी। सम्मेलन का मुख्य एजेंडा होगा-

फसल की सकल लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने मिले,

किसानों का कर्ज माफ कर उन्हें कर्ज मुक्त किया जाए,

राज्य में पेसा और वनाधिकार कानून को प्रभावी तरीके से क्रियान्वित किया जाए

हसदेव का विनाश रोकने और बस्तर में आदिवासियों पर हो रहे राज्य प्रायोजित हमलों को रोकने

प्राकृतिक संसाधनों की कॉर्पोरेट लूट के लिए हो रहे भूमि अधिग्रहण और विस्थापन को रोकने, ग्रामीणों को मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रूपये रोजी देने

किसानों को सस्ती दरों पर इनपुट उपलब्ध कराने जैसे सवालों पर स्वतंत्र और साझा आंदोलन विकसित करने के बारे में फैसले लिए जाएंगे।

किसान सभा के आह्वान पर ‘हर गांव में किसान सभा और किसान सभा में हर किसान’ के नारे पर अमल करने के लिए भी सांगठनिक योजना बनाई जाएगी।

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