साहित्य बिश्वनाथ की कविताओं में बनारस गांव के लोग Jan 30, 2022 इस शहर में धूल धीरे-धीरे उड़ती है धीरे-धीरे चलते हैं लोग धीरे-धीरे बजते हैं घंटे शाम धीरे-धीरे होती है। ...कभी आरती के आलोक में इसे… Read More...
डायरी मस्जिद में लगेगी आग तो मंदिर भी नहीं बचेंगे (डायरी 20 अक्टूबर, 2021) गांव के लोग Oct 20, 2021 जिन दिनों भारत ने वैश्वीकरण की नीति को अपना समर्थन दिया था और जब मेरे गांव-शहर में दीवारों पर डंकल प्रस्ताव के खिलाफ नारे लिखे जाते थे, तब… Read More...
डायरी साजिश की थ्योरी (डायरी 11 अक्टूबर 2021) गांव के लोग Oct 11, 2021 सियासत में और सियासत को समझने में आवश्यक अध्ययन में एक थ्योरी होती है। इसे मैं षडयंत्र की थ्योरी मानता हूं। इसमें होता यह है कि… Read More...
यात्राएँ नागरिकता की तलाश में असम के शहर और जंगल! गांव के लोग Sep 6, 2021 उत्तर पूर्व की यात्रा बागडोगरा से आगे सिलीगुड़ी और उससे आगे कलिम्पोंग और सिक्किम का रास्ता जिस तरह तीस्ता नदी को समर्पित है, कुछ उसी तरह… Read More...