मैं तो एयर इंडिया को टाटा संस को बेचे जाने की खबर को भी साजिश वाली थ्योरी के हिसाब से देखता हूं। यदि प्रधानमंत्री और उनके कुनबे को किसानों के मारे जाने का दुख होता या फिर पश्चाताप होता तो वे आनन-फानन में एयर इंडिया टाटा संस को ट्रांसफर नहीं करते। दरअसल यह एक तरीका था ताकि लोगों का ध्यान लखीमपुर खीरी से हटाकर हवाई जहाज के पीछे लगा दिया जाय। लेकिन भारत के लोग भी गजब स्वभाव के हो गए हैं। वह अब हुक्मरान की साजिश को समझने लगे हैं।
तो अब मैं साजिश वाली थ्योरी की बात करता हूं। पहले लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा का बेटा किसानों को गाड़ियों से रौंदता है। किसान उत्तेजित होते हैं और भाजपा के दो कार्यकर्ताओं की पीट-पीटकर हत्या कर देते हैं। इस घटना में कुल मिलाकर मारे तो केवल 8 लोग जाते हैं लेकिन दिल्ली की कुर्सी हिल जाती है। हालत यह होता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शोक व्यक्त करना भी भूल जाते हैं। सामान्य स्थिति में वह एक कुत्ते के पिल्ले के नुकसान होने पर भी दुख व्यक्त करते हैं। अभी तो हाल ही में एक रईस के सामने हाथ जोड़े वह जिस अंदाज में खड़े थे, कौन कहेगा कि वह हृदयवान नहीं हैं। किसानों का मामला अलग है।