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रामजी यादव

मुल्कराज आनंद ने मुझसे पहला ही सवाल किया कि क्या तुम टॉयलेट साफ़ कर सकते हो?

भारत के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता और चिन्तक-लेखक विद्या भूषण रावत सही अर्थों में एक जिंदादिल व्यक्ति हैं. अकेले बूते पर…
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दुर्धर्ष समय में भी रामस्वरूप वर्मा के विचारों की मशाल मद्धिम नहीं हुई

अक्सर हम राजनीति के मैदान में सांस्कृतिक आंदोलन की अगुवाई करनेवाले और समकालीन राजनीतिक संस्कृति को व्यापक जन-समुदायों के हितों की कसौटी पर…
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रंग लाएगी हमारी फ़ाक़ामस्ती एकदिन

सागर साहब हमेशा याद आते हैं। इस बार मुंबई में होने के बावजूद उनसे मिल नहीं सका था क्योंकि वे अपने दफ्तर आ नहीं रहे थे और कई बार सोचकर भी…
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झूठे देवत्व को फेंककर मनुष्यता का अधिकार लेना ही पिछड़ा साहित्य का आधार होगा !

मुझे बहुत सी चीजें विचलित करती हैं । इधर बीच जब पिछड़ों के साहित्य की सोच आगे बढ़ी तो रेशमा-चूहरमल की कहानी ने विचलित करना शुरू किया। इस कहानी…
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