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कोलकाता
बिश्वनाथ की कविताओं में बनारस
इस शहर में धूल
धीरे-धीरे उड़ती है
धीरे-धीरे चलते हैं लोग
धीरे-धीरे बजते हैं घंटे
शाम धीरे-धीरे होती है।...कभी आरती के आलोक में
इसे अचानक देखो
अद्भुत है इसकी बनावट
यह...
मस्जिद में लगेगी आग तो मंदिर भी नहीं बचेंगे (डायरी 20 अक्टूबर, 2021)
जिन दिनों भारत ने वैश्वीकरण की नीति को अपना समर्थन दिया था और जब मेरे गांव-शहर में दीवारों पर डंकल प्रस्ताव के खिलाफ नारे...
साजिश की थ्योरी (डायरी 11 अक्टूबर 2021)
सियासत में और सियासत को समझने में आवश्यक अध्ययन में एक थ्योरी होती है। इसे मैं षडयंत्र की थ्योरी मानता हूं। इसमें होता यह...
नागरिकता की तलाश में असम के शहर और जंगल!
उत्तर पूर्व की यात्रा बागडोगरा से आगे सिलीगुड़ी और उससे आगे कलिम्पोंग और सिक्किम का रास्ता जिस तरह तीस्ता नदी को समर्पित है, कुछ उसी...