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हंस
स्त्री सशक्तीकरण और जागरुकता के लिए स्त्री विमर्श एक कारगर औजार है
बातचीत का दूसरा हिस्सा
• अपनी कहानियों या किताबों में से आप किसे अधिक सफल मानती हैं और क्यों?
एक किताब आयी है–आम औरत: ज़िदा सवाल।...
कोई बिगड़े तो ऐसे, बिगाड़े तो ऐसे! (राजेन्द्र यादव का मूल्यांकन और स्मरण)
(राजेन्द्र यादव का मूल्यांकन और स्मरण)कोई बिगाड़ने वाला हो तो साहित्यकार राजेंद्र यादव एवं उनकी हंस जैसा, और बिगाड़े तो ऐसे जैसे राजेन्द्र दा...
राजेंद्र यादव को मैं इसलिए भंते कहता हूँ कि उन्होंने साहित्य में दलितों और स्त्रियों के लिए जगह बनाई
राजेंद्र यादव के बारे में मैं जब भी सोचता हूँ, प्रसिद्ध शायर शहरयार की ये पंक्तियाँ मेरे जेहन में उभरने लगती हैं -
उम्र भर...
आपकी स्वतन्त्रता ही हमारी गुलामी है – राजेंद्र यादव
(राजेंद्र यादव को दिवंगत हुये आठ वर्ष हो गए। बेशक इन आठ वर्षों में सुसंबद्ध और निर्भीक ढंग से भारत की संघर्षशील जनता की...