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ज़ूम मीटिंग में बोलते हुए
बंगाल का अकाल और ख़्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म ‘धरती के लाल’ पर परिचर्चा
आज अंग्रेजों का शासन नहीं है लेकिन कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग और विश्व व्यापारियों के समक्ष भारत के किसानों को फिर से खुली लूट के लिए छोड़ दिया गया है। हमें आज के किसान आंदोलन को पूरी तरह समर्थन देने और लुटेरों के खिलाफ साझा संघर्ष की प्रेरणा 'धरती के लाल' से आज भी मिलती है।