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Babri Masjid
आपके लिए इतिहास से सबक सीखना जरूरी है कि उनसे बदला लेना
औरंगजेब का दानवीकरण राजनैतिक लक्ष्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है और हिंसा और गौमांस, लव जिहाद जैसे मुद्दों के जरिए मुसलमानों के एक वर्ग को आतंकित और एक दायरे में सिमटने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। औरंगजेब को आज के असहाय मुस्लिम समुदाय से जोड़ना कैसे न्यायोचित है। मुस्लिम राजाओं के जुल्मों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने से हिन्दू राष्ट्र के लक्ष्य को आगे बढ़ाने में दो तरह से मदद मिलती है। एक ओर इसके जरिए धार्मिक अल्पसंख्यकों पर निशाना साधा जाता है और दूसरी ओर, अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे हिन्दू राष्ट्रवाद के आधार, ब्राम्हणवादी व्यवस्था, द्वारा समाज के कमजोर तबकों पर ढहाये गए अत्याचारों पर पर्दा पड़ता है।
देश में इतनी नफरत फैल चुकी है जितनी संघी नेताओं ने भी शायद ही सोचा हो
आरएसएस लगातार दोहरी नीति पर काम एक तरफ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री बयान देते फिरते हैं कि देश में सभी समुदाय के लोग सुरक्षित हैं, वहीं उनके पोषित लोग अल्पसंख्यकों पर लगातार हमला कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अभी क्रिसमस के मौके पर दिए संदेश में भगवान ईसा मसीह की शिक्षाओं पर अमल करने की बात कही, वहीं दूसरी तरफ लखनऊ मे चर्च के बाहर भक्तों ने गदर मचाया। अहमदाबाद में सांता क्लॉज की पोशाक पहने व्यक्ति की भक्तनुमा व्यक्ति ने पिटाई कर दी। यह मात्र एक या दो घटनाएं है। लेकिन पूरे देश में ऐसी सैकड़ों घटनाएं लगातार हो रही हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर नफरत इतनी व्यापक क्यों है?
बाबरी मस्जिद के ध्वंस ने फिरकापरस्त ताकतों को सत्तासीन किया
स्वाधीन होने के बाद भारत ने जो दिशा और राह चुनी, उसकी रूपरेखा जवाहरलाल नेहरु के ‘ट्रिस्ट विथ डेस्टिनी’ भाषण में थी। नेहरु ने...

