नहरें खेत के लिए जीवनदायिनी होती हैं। इनका रख-रखाव ठीक से न हो तो नहरें किसी काम की नहीं रहती हैं। यही हाल है मिर्जापुर में नहरों का जिनमें पानी की जगह सूखे और घास-फूस का बोलबाला है। इनकी साफ-सफाई के नाम पर लाखों का हेर-फेर हो जाता है। यहां वर्षों पहले किसानों ने नहरों के लिए कृषि योग्य जमीन दी थी, जिसको लेकर वे कहते हैं कि बारिश न हो तो फसल सूख जाए। जब जमीन दी थी तब उम्मीद थी कि हमें नहरों से पानी मिलने लगेगा लेकिन लगातार हमको सूखा ही मिला है। इसी तथ्य की पड़ताल करती संतोष देव गिरी की ग्राउंड रिपोर्ट।
बाणसागर परियोजना के बावजूद किसान खेतों की सिंचाई के लिए तरस रहे हैं। नहर में समुचित मात्रा में पानी नहीं आ रहा है। जुलाई 2018 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बहुप्रतीक्षित नहर परियोजना का फीता काटकर किसानों को समर्पित किया था तो उम्मीद जगी थी कि जिले के किसानों को भरपूर पानी सिंचाई के लिए मिलेगा, इसके दावे भी खूब किए गए थे। लेकिन संबंधित विभाग की लचर नीतियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते किसानों की उम्मीद खत्म होती दिख रही है।