Thursday, November 7, 2024
Thursday, November 7, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

संतोष देव गिरि

स्वतंत्र पत्रकार हैं और मिर्जापुर में रहते हैं।

मिर्जापुर : बाँध में पर्याप्त पानी होने के बाद भी सात किलोमीटर रैकल टेल सूखी, धान की फसल बर्बाद होने की कगार पर 

'किसान अन्नदाता हैं' सुनने में यह बहुत अच्छा लगता है लेकिन किसान आज किस हाल में खेती कर पा रहे हैं, यह उनसे पूछने पर मालूम होगा। कहीं बीज नहीं मिल पा रहा है, तो कहीं खाद की समस्या है, कहीं बिजली नहीं तो कहीं सिंचाई के लिए पानी का अभाव है। किसानों के लिए अनेक योजनायें हैं लेकिन या तो कागज पर हैं या जो लागू हैं उनमें बहुत ही घालमेल है, जिसकी वजह से वह किसानों तक नहीं पहुँच पा रही हैं। मिर्जापुर जिले के अति पिछड़े इलाके मड़िहान तहसील में सिरसी पम्प कैनाल में पानी नहीं आ पाने के कारण किसानों की फसल सूखने की कगार पर है। पढ़िए संतोष देव गिरि की रिपोर्ट

पूर्वाञ्चल : भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए सत्याग्रह

मनुष्य के सामाजिक सरोकार का सबसे सशक्त माध्यम है उसकी मातृभाषा। शैशवास्था से युवावस्था तक मातृभाषा के साथ सांस्कृतिक धरोहर विरासत के रूप में प्राप्त हो जाती है। हम सभी की मातृभाषा ही हमारे भावनात्मक और वैचारिक अभिव्यक्ति का सहज और सुगम माध्यम है। लगभग 5 दशकों से भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की जाती रही है लेकिन किसी भी सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया।

मिर्ज़ापुर में ग्रामीण सड़क : तमाम दावे फेल, सड़क के गड्ढे डरावने हो चुके हैं

पूरे उत्तर प्रदेश को आपस में जोड़ने के लिए एक्स्प्रेस वे, हाई वे, रिंग रोड बनाये गए हैं और अभी बन भी रहे हैं। गाड़ियों से चलने वाले खुश हैं और 'विकास हुआ' का दावा भी कर रहे हैं लेकिन उप्र के गांवों में जाने पर विकास की असलियत सामने आती है, जहां सड़क के नाम पर दशकों पहले बनी हुई सड़कों के निशान बाकी हैं। असल में सरकार दिखावे वाले विकास पर काम करती है। पढ़िये मिर्ज़ापुर के विशुनपुरा गांव से संतोष देवगिरि की ग्राउंड रिपोर्ट 

खबर का असर : भोगाँव श्मशान घाट पर चिता को आग देने का ठेका रद्द हुआ

मिर्ज़ापुर जिले के भोगाँव श्मशान घाट पर शव जलाने की आग का ठेका जिला पंचायत ने भोगाँव के ही ठाकुर जाति के व्यक्ति को दे दिया जिसके कारण दशकों से यह काम करते आए डोम-धरकार की आजीविका एक झटके में छिन गई। इसके विरोध में उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया। गाँव के लोग के मिर्ज़ापुर प्रतिनिधि संतोष देव गिरि ने इस पर दो विस्तृत रिपोर्ट की जिससे डोम-धरकार समुदाय को जनसमर्थन मिला और जिला प्रशासन को ठेका निरस्त करना पड़ा।

मिर्ज़ापुर : नहरों में पानी की जगह सूखा घास-फूस की सफाई के नाम पर खर्च हो जाता है करोड़ों का बजट

नहरें खेत के लिए जीवनदायिनी होती हैं। इनका रख-रखाव ठीक से न हो तो नहरें किसी काम की नहीं रहती हैं। यही हाल है मिर्जापुर में नहरों का जिनमें पानी की जगह सूखे और घास-फूस का बोलबाला है। इनकी साफ-सफाई के नाम पर लाखों का हेर-फेर हो जाता है। यहां वर्षों पहले किसानों ने नहरों के लिए कृषि योग्य जमीन दी थी, जिसको लेकर वे कहते हैं कि बारिश न हो तो फसल सूख जाए। जब जमीन दी थी तब उम्मीद थी कि हमें नहरों से पानी मिलने लगेगा लेकिन लगातार हमको सूखा ही मिला है। इसी तथ्य की पड़ताल करती संतोष देव गिरी की ग्राउंड रिपोर्ट।

मिर्ज़ापुर : कोलकाता कांड के दोषियों को फांसी और बेटियों की सुरक्षा की मांग के साथ छात्राओं का प्रदर्शन

कोलकाता में हुई देश की बेटी के साथ दरिंदगी के आरोपियों पर कड़ी कार्यवाई की मांग को लेकर जीडी बिनानी कालेज की छात्राओं ने कालेज से कलेक्ट्रेट तक जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन किया है। आर जी कर मेडिकल कालेज में 8-9 अगस्त 2024 के दरमियान अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ दरिंदगी कर उसकी हत्या कर दी गई थी। छात्राओं ने कहा कि "देश कहने को आजाद है, लेकिन देश की बेटी कब आजाद होगी, कब उसे यह महसूस होगा कि वह खुद सुरक्षित है?"

मिर्ज़ापुर : चिता को आग के अधिकार की बहाली के लिए धरकार समुदाय का धरना

‘गांव के लोग’ ने 26 जुलाई 2024 को ‘मिर्ज़ापुर में शवदाह का ठेका : अब धरकार नहीं, ठाकुर साहब बेचेंगे चिता जलाने की आग’ शीर्षक से एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए मिर्ज़ापुर जिले के भोगांव गंगा घाट पर दशकों से चिंता को आग देते हुए आए धरकार समाज की चिंताओं को रेखांकित किया था। एक झटके में कैसे उनको रोजगार से वंचित कर दिया गया। कुछ लोगों की इस पर तीखी प्रतिक्रिया भी रही तो काफी लोगों ने इस रिपोर्ट को सराहते हुए जिला पंचायत के निर्णय पर सवाल खड़े किए थे। आखिरकार यह कैसा फैसला है? इस फैसले से धरकार समाज के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या बढ़ गई और उसने आंदोलन का रास्ता चुना। मिर्ज़ापुर से संतोष देव गिरि की रिपोर्ट।

ग्राम प्रहरी उर्फ़ गोंड़इत अर्थात चौकीदार : नाम बिक गया लेकिन जीवन बदहाल ही रहा

इस सरकार ने जमीनी तौर पर कोई काम किया हो या न किया हो, कह नहीं सकते लेकिन नाम बदलने का काम बहुत किया है। इलाहाबाद का नाम प्रयागराज, योजना आयोग हो गया नीति आयोग, विकलांग हो गए दिव्याङ्ग और चौकीदार हो गए ग्राम प्रहरी। लेकिन नाम बादल देने से कुछ बदलने वाला नहीं है। ग्राम प्रहरी उर्फ़ गोंड़इत अर्थात चौकीदारों के सामने आज जीवन चलाने का बड़ा संकट खड़ा है। सरकार उन्हें कर्तव्य तो बताती है लेकिन अधिकार से महरूम रखती है। पढ़िये ग्राम प्रहरियों की वास्तविक स्थिति की पड़ताल करती संतोष देवगिरि की ग्राउंड रिपोर्ट।

मीरजापुर : PMSGY योजना के इंतज़ार में है मनऊर गाँव के ग्रामीण

उत्तर प्रदेश के वाराणसी, चंदौली जनपद से लगा हुआ मिर्ज़ापुर जिले का जमालपुर विकास खंड के मनऊर गाँव के सड़क की हालत इतनी खराब है कि स्कूल पहुँचने के बाद बच्चे कीचड़ से लथपथ हो जाते हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत आज तक इस गाँव में सड़क बनने की कोई योजना नहीं पहुँच पाई है। विकास की बात करने वाली सरकार अपने किए काम का बहुत ज़ोर-शोर से प्रचार करती है। जैसे 2014 के बाद ही वाराणसी को क्योटो बनाने और 100 स्मार्ट सिटी बनाने की योजना थी। लेकिन 10 वर्ष बाद भी बनारस क्योटो नहीं बन सका बल्कि 1 घंटे की बारिश में रास्ते जलमग्न हो जाते हैं।

मिर्ज़ापुर के डीज़ल कटिंग सिंडीकेट : क्या पुलिस के लंबे हाथ इन्हें दबोच पाएंगे

मिर्ज़ापुर जिले के अहरौरा थाना पुलिस और क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम ने अवैध रूप से डीजल कटिंग के ठिकानों पर छापेमारी करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। भारी मात्रा में डीजल की बरामदगी के साथ कई टैंकरों को भी सीज किया है। यह कारोबार वर्षों से चल रहा है। सोनभद्र जिले से लेकर पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश की कई बड़ी परियोजनाओं में डीज़ल आपूर्ति होती है। एनटीपीसी, रिहंद, एनसीएल, बीना परियोजना, ककरी, जयंत, अमलोरी सहित कई बड़ी परियोजनाओं के चलते यह इलाका डीज़ल कटिंग कारोबार से जुड़े हुए लोगों के लिए काफी मुफीद रहा है। यहाँ उनकी मजबूत पकड़ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुछ वर्ष पूर्व सोनभद्र में एक टीवी चैनल के रिपोर्टर ने अपने कुछ साथियों के साथ जब इस कारोबार का खुलासा किया था तो पुलिस ने कार्रवाई के बजाए उलटे मीडियाकर्मी पर ही झूठे केस में फंसा दिया था।

मिर्ज़ापुर में शवदाह का ठेका : अब धरकार नहीं, ठाकुर साहब बेचेंगे चिता जलाने की ‘आग’

मिर्ज़ापुर जिले में भोगांव स्थित श्मशान घाट पर पीढ़ियों से धरकार समुदाय के लोग शव जलाने के लिए आग देकर अपनी आजीविका चलाते आ रहे थे लेकिन पिछले महीने जिला जिला पंचायत ने आग देने का ठेका इसी गाँव के एक ठाकुर को दे दिया। जाति व्यवस्था में तय मानकों के हिसाब से समाज को देखने वाले लोगों को यह अनोखा मामला लग सकता है लेकिन असल में यह कई बातों की ओर इशारा करता है। इससे यह पता चलता है कि जात-जमात से अलग रोजी-रोजगार के साधनों पर सम्पन्न लोग कैसे कब्जा जमा लेते हैं। जाति और पैसे के बल पर लोगों ने उन सभी कामों पर कब्ज़ा जमा लिया है जिसे बिना किए भी मोटा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। इससे यह भी पता चलता है कि ठेके में कितना अधिक मुनाफा होता है। और यह भी कि सफाई का ठेका कोई भी ले लेकिन सफाई का काम तो स्वीपर को ही करना पड़ता है। यह ठेका भी इसी रणनीति के तहत जारी किया गया है।

मिर्ज़ापुर में टी बी का इलाज : दवाओं से ज्यादा पाखंड का डोज़

सरकार टीबी मुक्त भारत अभियान चला रही है ताकि 2025 तक देश से इसका समूल नाश हो सके। इसके लिए तरह-तरह के कार्यक्रम और योजनाएं लाई जा रही हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के मिर्जापुर जिले में टीबी के मरीजों की संख्या देखते हुए नहीं लगता कि 2025 तक इसका अंत हो पाएगा। मिर्जापुर जिले में पाँच साल में 636 टीबी मरीजों की मौत हो चुकी है। गाँव के लोग की ओर से पत्रकार संतोष देव गिरि ने इस पूरे मामले की छानबीन की और यह पाया कि जिले में टीबी मरीजों की संख्या लगातार बढ़ी है जबकि उनका इलाज समुचित रूप से नहीं हो रहा है। कहीं दवा का अभाव है तो कहीं भ्रष्टाचार और अराजकता का बोलबाला है। निःशुल्क सरकारी इलाज उपलब्ध होने के बावजूद डॉक्टर बाहर की दवाएँ लिखते हैं। उनका ज़ोर इस बात पर होता है कि मरीज़ उनकी बताई दुकानों से ही दवा खरीदे।

मिर्ज़ापुर : हर घर नल जल योजना के दावे के बावजूद लोग पानी के लिए भटक रहे हैं

हर घर नल जल का वर्तमान देखकर यही कहा जा सकता है कि राजनीतिक घोषणाएँ और सरकारी दावे एक तरफ लेकिन वास्तविकता बिलकुल दूसरे ढंग से अपनी कहानी कहती है। मिर्ज़ापुर जिले के ग्रामीण इलाकों में पानी को लेकर कहीं कतार लगानी पड़ रही है तो कहीं पहाड़ों की खाक छाननी पड़ रही है। भीषण गर्मी के बीच महिलाओं को दो-दो, तीन-तीन किलोमीटर दूर से पानी लाकर चूल्हा-चौका करना पड़ रहा है।

मिर्ज़ापुर : कहने को मंडल पर स्वास्थ्य का चरमराता ढाँचा ढोने को विवश

किसी मंडलीय अस्पताल उर्फ मेडिकल कॉलेज के पर्ची काउंटर पर साँड़ आराम फरमा रहा हो और अस्पताल के ठीक पीछे मेडिकल वेस्ट का डम्पिंग ग्राउंड हो तो आप आसानी से समझ सकते हैं कि यह अस्पताल शहर और जिले का स्वास्थ्य कितने बेहतरीन ढंग से दुरुस्त रखता होगा। इसके लिए कहीं दूर जाने की आवश्यकता भी नहीं है। बस विंध्याचल मंडल के मुख्यालय मिर्ज़ापुर आइये और यह नज़ारा देख लीजिये।

जौनपुर : शादी की 40वीं सालगिरह पर बांटे 40 बक्सा पुस्तकालय, अतुल यादव रच रहे हैं सामाजिक चेतना का नया संसार

अतुल यादव विगत कई वर्षों से पढ़ने वाले तेज लेकिन आर्थिक रूप से विपन्न विद्यार्थियों के लिए किताबें मुहैया कराते आ रहे हैं। वह बताते हैं कि हर साल सेशन की शुरुआत में बच्चों को किताबें देते हैं और उनके अगली कक्षा में जाने के बाद उन्हें उस कक्षा की किताबें देकर पिछली किताबें लेते हैं और अन्य बच्चों को किताबें मुहैया कराते हैं।

मिर्ज़ापुर की नकहरा नई बस्ती : कीचड़ से भरी सड़क, पाइप से गायब टोंटी लेकिन कोई नहीं सुन रहा फरियाद

हल्की बारिश में भी मुख्य मार्ग से बस्ती में आना मुश्किल होने लगता है। बस्ती की समस्याओं को लेकर ग्राम प्रधान से लगायत मुख्यमंत्री पोर्टल तक शिकायत की जा चुकी है, लेकिन समाधान आज तक नहीं हो पाया है। सड़क, बिजली, पानी और साफ-सफाई जैसी बुनियादी सुविधाओं से जूझते आ रहे नकहरा नई बस्ती के लोगों को बरसात के दिनों में अपने घरों तक आने के लिए तमाम दुश्वारियां से दो-चार होना पड़ता है। लोग घायल भी हो जाते हैं। रहवासियों के लिए यह स्थिति समस्या नहीं अब यातना बन चुकी है।