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Bhojpuri
पूर्वाञ्चल : भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए सत्याग्रह
मनुष्य के सामाजिक सरोकार का सबसे सशक्त माध्यम है उसकी मातृभाषा। शैशवास्था से युवावस्था तक मातृभाषा के साथ सांस्कृतिक धरोहर विरासत के रूप में प्राप्त हो जाती है। हम सभी की मातृभाषा ही हमारे भावनात्मक और वैचारिक अभिव्यक्ति का सहज और सुगम माध्यम है। लगभग 5 दशकों से भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की जाती रही है लेकिन किसी भी सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया।
भोजपुरी पेंटिंग को पहचान दिलाती वंदना
बिहार में कला और संस्कृति के नाम मधुबनी पेंटिंग और भाषा के रूप में भोजपुरी विश्वपटल पर अपनी पहचान रखता है। आमतौर पर लोग...
भोजपुरी को मिला मान (पद्मश्री रामचंद्र मांझी)
नहीं जानते होंगे सभी
लौंडा नाच के नचनिया को
साटा के मुताबिक एक गांव से दूसरे गांव में
प्रस्तुति के लिए
पैदल पैदल तेजी से चलते जाते हैं
मानो...

