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DP Yadav
डीपी यादव : यूपी की हर सत्ता में सुरक्षा पाता रहा गाजियाबाद का शराब किंग
दूध के कारोबार से दुनियादारी शुरू की पर पहचान बनी दारू। जब दारू का नशा सिर चढ़कर बोलने लगा तब सत्ता के सियासी गलियारे में भी अपनी कुर्सी बुक करवा ली। सियासी सफर में जब सम्मान दांव पर लगा तो हथियारों की हुंकार से हवाओं में अपने नाम की सिहरन भर दी। हर पार्टी के साथ पर हर जगह अपनी मनमानी की, जिसकी वजह से किसी के साथ लंबा साथ नहीं चला तब अपनी ही पार्टी बना ली। अब राजनीति का राग कमजोर पड़ गया है, असलहों के बल पर हासिल की हुई ताकत कमजोर हो गई, फिलहाल कविता की किताब जरूर छप गई।
संक्रमण काल से गुजर रहे समाजों में ‘संघ’ की सेंध
माहौल और गतिविधियों से भी आभास हो रहा था कि यह प्रोग्राम 2024 के चुनाव को देखते हुए भाजपाइयों ने आयोजित किया था। लेकिन यादव समाज को यह आभास दिलाने की कोशिश की जा रही थी कि यादव बंधुओं को पुनर्जागृत करने के लिए एक मंच पर लाने हेतु इस 'गैर राजनीतिक' सभा को बुलाया गया है।

