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दलित छात्रों के आत्महत्याओं के दौर में फुले दम्पति की याद

वर्ष 1942 में कनाडा में भाषण देते हुए डॉ. बीआर आम्बेडकर ने भारत में दलितों की समस्या की चर्चा करते हुए दो मुख्य बातों का उल्लेख किया था। उन्होंने पहली बात यह कही थी कि जाति व्यवस्था, साम्राज्यवाद से ज्यादा खतरनाक है और भारत में जातिप्रथा समाप्त होने के बाद ही शांति और व्यवस्था कायम हो पाएगी। दूसरी बात उन्होंने यह कही थी कि भारत में यदि किसी वर्ग को स्वतंत्रता की असली दरकार है तो वे दलित हैं।

बद्री नारायण की बदमाशी (डायरी, 9 जुलाई, 2022) (दूसरा भाग)

साहित्यिक लेखन और इतिहासपरक लेखन में फर्क होता है। साहित्यिक लेखन (आलोचना को अपवाद मान लें) के दौरान लेखक के पास अतीत में झांकने...

महिलाओं के शब्द (डायरी 9 जून, 2022)

यदि भारत के ब्राह्मणवादी दार्शनिकों, जिनकी मान्यताएं अवैज्ञानिक रही हैं, को छोड़ दें तो लगभग सभी ने यह कहा है कि सृष्टि के निर्माण...

सुप्रिया सुले से उम्मीद (डायरी 27 मई, 2022)

औरतें मर्दों से अलग हैं। यह कोई कहने की बात नहीं है। लेकिन दोनों इंसान हैं और समान तरह के अधिकार और सम्मान के...

टैगोर और मेरी एक ख्वाहिश (डायरी 9 मई, 2022)

कुछ खबरें अलग होती हैं। सामान्य तौर पर राजनीतिक खबरें ऐसी नहीं होती हैं आदमी की नींद खराब हो जाय। और मैं तो राजनीतिक...

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