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#Gadar
सांप्रदायिक सोच के खिलाफ थे जहीरुद्दीन अली खान
जहीरुद्दीन अली खान का निधन मेरे लिए दुखद है। हाल के दो महीने में मैं आधा दर्जन मृत्यु-लेख लिख चुका हूँ। कल ही गदर की स्मृति में लिखी पोस्ट में मैंने उल्लेख किया था कि 'मेरी और गदर की भेंट जहीरुद्दीन अली खान के अखबार सियासत के हैदराबाद स्थित दफ्तर में पंद्रह साल पहले हुई थी।'
मनगढ़ंत वीरता का महिमामंडन है ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर’ का टीज़र
देश में दक्षिणपंथी विचाधारा का बोलबाला बढ़ने के साथ ही ऐसी फिल्में बनाई जाने लगी हैं जो लोगों को बाँटतीं हैं, सांप्रदायिक राष्ट्रवाद के...
ज़िंदगी के नए और अनजान इलाकों तक ले जाती सिनेमा की सड़कें
साहित्य में यात्रा वृतांत लेखन एक अलग धारा के रूप में स्थापित है। साहित्य की भांति सिनेमा में भी ट्रैवल सिनेमा एक महत्वपूर्ण जेनर...