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Gaza Strip
क्या विश्वगुरु के लिए अमेरिका जैसा बेशर्म और संवेदनहीन होना जरूरी हो गया है
बारह साल पहले मुझे एशियाई देशों की तरफ से, पहले अमन ओ कारवां में शामिल होने का मौका मिला था। उस समय एक जनवरी से छः जनवरी, 2011 तक एक सप्ताह तक मुझे गाजा पट्टी में रहने का मौका मिला था। देखते ही लगा कि यह स्वतंत्र देश नही है। तीन तरफ से इजराइल के द्वारा 25-30 फ़ीट उंची कांक्रीट की दीवारें और उन दीवारों के ऊपर थोड़ी-थोड़ी दूर पर वॉच टॉवरों में इजराइल की सेना के जवान इस सघन मानव रहवास पर बड़ी-बड़ी दूरबीनों से जिस तरह नज़र जमाये हुये थे उसे देखकर यही महसूस हुआ कि यह जगह एक खुला हुआ जेलखाना है।
संयुक्त राष्ट्र की हमास, इजराइल से अपील, बंधकों को रिहा करें, मानवीय मदद पहुंचाने की अनुमति दें
संयुक्त राष्ट्र (भाषा)। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुतारेस ने हमास से सभी बंधकों को बिना किसी शर्त के तुरंत रिहा करने की अपील की और...
यह समय फिलिस्तीन के लिए समर्थन का है
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमन की तलाश में जंग का रास्ता अख़्तियार किया जाता रहा है। जंग में सत्ता का विकेन्द्रीकरण किसी भी रूप में क्यों न हो, पर आम आदमी युद्ध की विभीषिका में भयावह तौर पर झुलसता ही है। अभी रूस और यूक्रेन के जंग की राख ठंडी भी नहीं हुई थी कि इजरायल और फिलिस्तीन युद्ध ने दुनिया के सामने युद्ध की एक और भायवह तस्वीर लाकर रख दी है। यह युद्ध भले ही दुनिया के किसी और कोने में लड़ा जा रहा है, पर यह तय है कि इसका व्यापक प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ेगा। इस युद्ध के तमाम आयामों और उसकी राजनीतिक पृष्ठभूमि पर वरिष्ठ लेखक डॉ. सुरेश खैरनार का विश्लेषण...

