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बालिका शिक्षा के लिए समाज की भूमिका भी अहम
भारत में शिक्षा को लेकर आज़ादी के बाद से ही काफी गंभीरता से प्रयास किये जाते रहे हैं। केंद्र से लेकर देश की सभी...
लड़कियों की शिक्षा के प्रति उदासीन समाज का विकास थोथा है
बिहार और झारखंड सरकार भी बालिका शिक्षा को लेकर कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चला रही है। इसके बावजूद आज भी ग्रामीण क्षेत्र में अशिक्षा, जागरूकता, गरीबी, पिछड़ेपन, रूढ़ियां आदि की वजह से लड़कियों को शिक्षा के अधिकार से अपने ही परिवार वाले महरूम रखते हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से 65 किमी दूर साहेबगंज प्रखंड अंतर्गत पंचरुखिया गांव की लड़कियों को पहले पढ़ाया नहीं जाता था।
कुपोषित बच्चों से कैसे बनेगा स्वस्थ समाज और सशक्त देश?
यूएनडीपी द्वारा प्रकाशित मानव विकास सूचकांक, 2021 में भारत का स्थान 132वां है, जो पड़ोसी मुल्कों से भी नीचे है। इसके साथ ही वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2021 में भारत का स्थान 116 देशों में 101वां है, जो 2020 में 90वां था। यह गिरावट इंगित करता है कि अपने देश में खाद्यान्न की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद वितरण के स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार एवं सक्षम तंत्र की लुंज-पुंज स्थिति के कारण सभी नागरिकों को भरपेट भोजन भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
पितृसत्ता की बेड़ियों में जकड़ी हुई हैं किशोरियां
मेगड़ी स्टेट (उत्तराखंड)। कभी कभी हमारे देश में देखकर लगता है कि देश तो आजाद हो गया है, जहां सभी के लिए अपनी पसंद...
लड़कों की तरह क्यों नहीं पढ़ सकतीं लड़कियां ?
हमारा समाज जितना ज्ञान लड़कों को देने के लिए व्याकुल रहता है, उतना ही अगर लड़कियों को दी जाए तो वह न केवल सशक्त होंगी, बल्कि देश से महिलाओं पर अत्याचार और शोषण का खात्मा भी मुमकिन हो सकता है। हालांकि, राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक किशोरियों की शिक्षा के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्हें मैट्रिक, इंटर, यूजी, पीजी आदि करने के लिए प्रोत्साहन राशि और स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड भी दिए जा रहे हैं।
कामुक ही नहीं हिंसक भी हो चुकी है अश्लील आर्केस्ट्रा की उत्सवी अवधारणा
यौन कुंठा में अराजक तत्व के लिए कठपुतली बन रही हैं नाचने वाली लड़कियां
यह शादियों का मौसम चल रहा है। गांव-देहात में अभी...

