दस माह के स्कूल के बाद जब दो महीने की ग्रीष्मकालीन छुट्टियाँ मिलती हैं तो बच्चे और उनके साथ माता-पिता भी थोड़ी राहत महसूस करते हैं। इन्हीं दो महीने की छुट्टियों में बच्चे को यदि कोई मजेदार शिविर में शामिल होने का मौका मिल जाये तो उसे आनंद आ जाता है।
इग्नस पहल के वाराणसी स्थित नए क्षेत्रीय कार्यालय के उद्घाटन के अवसर पर एक दिवसीय शैक्षिक संवाद एवं परिचर्चा का आयोजन ‘वर्तमान प्रारंभिक शिक्षा में शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका (परिप्रेक्ष्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020)’विषय पर हुआ।राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार अभिभावक और शिक्षक एक-दूसरे से कैसे सामंजस्य रखे ताकि बच्चे पर सकारात्मक असर कैसे दिखाई दे, इस पर बातचीत की गई।
आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या अत्यंत गरीब दलितो-पिछड़े समुदायों और जातियों से ताल्लुक रखता है जिनके बारे में यह नैरेटिव गढ़ा जा चुका है कि वे किसी भी कठिन परिस्थिति में जी लेते हैं। उनकी मौलिक और बुनियादी समस्याओं को जितना अधिक टाला जा सके टालते रहा जाय। जबकि वे आगे आने वाली पौध की नींव रखती हैं, उन बच्चों को सामाजिक बनाने और आपसी सामंजस्य बिठाने का पहला काम यही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता करती हैं।
यही वह प्रस्थान बिंदु बना जिसने एक नए सुरेन्द्र प्रसाद सिंह को रचना, गढ़ना शुरू किया। जिले के अन्य शिक्षक जहां इस सर्वे का प्रारूप ही नहीं तैयार कर पा रहे थे वहीं सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने सर्वे का पूरा फार्मेट सेट कर दिया था। इनके बनाये हुये सर्वे का फार्मेट ही सर्वे का माडल पत्र बन गया। उसी प्रारूप को प्रिंट कराकर पूरे जिले में वितरित किया गया। यह सर्वजनिक जीवन में पहला ऐसा बड़ा काम था जिसकी प्रसंशा की गई और सुरेन्द्र प्रसाद सिंह वाराणसी शिक्षा विभाग की एक नई उम्मीद भी बने।