इग्नस पहल द्वारा ग्रामसभा मधुमखियाँ में आयोजित तीन दिवसीय समर कैम्प का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ। यह कैम्प ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान बच्चों को शिक्षा, खेल और रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से सीखने से जोड़े रखने का एक प्रयास था। इस वर्ष कैम्प की विशेषता यह रही कि इसमें न केवल बच्चों के लिए, बल्कि अभिभावकों के लिए भी एक समर्पित कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें उनकी सक्रिय भागीदारी देखी गई।
4 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए विविध गतिविधियाँ
समर कैम्प में कुल 70 बच्चों ने भाग लिया, जिन्हें उम्र के अनुसार तीन समूहों में विभाजित किया गया, 4-6 वर्ष, 7-10 वर्ष, और 11-14 वर्ष। प्रत्येक समूह के लिए गतिविधियाँ उनकी आयु और विकास स्तर को ध्यान में रखकर तैयार की गईं।
इस समूह के बच्चों के लिए कहानियों के साथ अभिनय, मिट्टी से खिलौने बनाना, रंगों के साथ उंगलियों से चित्र बनाना, और आकृतियों को पहचानने के खेल जैसे गतिविधियाँ रखी गईं। बच्चों ने भिन्डी की बारात कविता के माध्यम से सब्ज़ियों की दुनिया में मज़ेदार कल्पनाएँ की और खुद सब्ज़ियाँ बनकर अभिनय किया।
इस आयु वर्ग के बच्चों के साथ भाषा और विज्ञान को खेल के रूप में प्रस्तुत किया गया। कविता, सब्ज़ी छपाई से कला गतिविधियाँ, वॉल्केनो विस्फोट (बेकिंग सोडा और सिरका प्रयोग), कहानी बनाना जैसी गतिविधियों ने बच्चों की सोच, कल्पना और टीमवर्क को बढ़ावा दिया। भाषा दौड़ और पहेली जैसे खेलों ने बच्चों को मज़े के साथ सोचने का अवसर दिया।
बड़ों के समूह में बच्चों ने कहानी लेखन, कोलाज बनाना, रोल प्ले, गुब्बारा रॉकेट प्रयोग और अफवाह कैसे फैलती है इस पर आधारित खेल में भाग लिया। ‘नोट टू फ्यूचर सेल्फ’ जैसी गतिविधि ने बच्चों को आत्मचिंतन और भविष्य के बारे में सोचने का अवसर दिया। विज्ञान की गतिविधियों ने उनमें जिज्ञासा और प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति को बल दिया।
बच्चों ने न केवल इन गतिविधियों में गहरी रुचि ली बल्कि अपनी रचनाओं को गर्व से साझा भी किया। कई बच्चों ने पहली बार सार्वजनिक रूप से कहानी सुनाई या कोई अभिनय किया, जिससे उनमें आत्मविश्वास भी विकसित हुआ।
अभिभावकों की कार्यशाला
इस वर्ष की एक प्रमुख विशेषता अभिभावकों के लिए आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला रही, जिसमें कुल 17 अभिभावकों ने भाग लिया। कार्यशाला का उद्देश्य यह था कि अभिभावकों को यह समझाया जा सके कि वे घर पर बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा में कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
खेल-आधारित सीखने की अवधारणा पर गतिविधियाँ हुईं जैसे दालें छाँटना, पानी की बालटी में से रबर बैंड्स निकलना, दिए गए चित्र के जैसे ही लकड़ी और बोतल के ढक्कनों से पैटर्न बनाना, अंक और अक्षर झपट जैसी कई गतिविधिया की गई। साथ ही साथ चर्चा इस बात पर केंद्रित रही कि कैसे रोज़मर्रा की बातों, रसोई के काम और सफ़ाई जैसे कार्यों में बच्चों को शामिल कर उन्हें गिनती, भाषा और कला सीखाई जा सकती है।
अभिभावकों ने इस बात पर सहमती जताई की गतिविधियाँ की जा सकती है और यह बच्चों को मोबाइल फ़ोन में व्यस्त रखने से बेहतर है।
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समापन और सामूहिक अनुभव
शिविर के समापन सत्र में बच्चों और अभिभावकों ने साथ मिलकर अनुभव साझा किए। कई बच्चों ने बताया कि उन्हें
विज्ञान का झाग वाला प्रयोग सबसे मज़ेदार लगा, तो कुछ ने कहा कि अब वे हर दिन एक कहानी बनाएँगे।
अभिभावकों ने यह भी कहा कि वे पहली बार किसी ऐसे कार्यक्रम में शामिल हुए जहाँ उन्हें खुद कुछ नया सीखने और
अपनाने को मिला। सभी ने इच्छा जताई कि ऐसे शिविर और कार्यशालाएँ समय-समय पर होती रहें।
इस शिविर के आयोजन में आँगनवाड़ी कार्यकर्त्री सरिता सिंह, उर्मिला देवी, सहायिका गीता देवी और शीला देवी की
महत्वपूर्ण भूमिका रही। इग्नस पहल की टीम द्वारा सामग्री और प्रशिक्षण का समन्वय किया गया।