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जम्मू-कश्मीर के दलित-बहुजनों की फिक्र, डायरी (3 जून, 2022)
निष्पक्षता मुमकिन नहीं है। अब तक यही मानता आया हूं। बहुत हुआ तो कोई आदमी बहुत हद तक निरपेक्ष बने रहने की कोशिशें कर...
कश्मीरी ‘पंडित’ बनेंगे कश्मीरी ‘विस्थापित’ (डायरी 6 मई, 2022)
शब्द और सबद में अंतर है? कबीर को पढ़ते हुए यह सवाल मेरी जेहन में आ ही जाता है। कबीर सबद का मतलब सृष्टि...