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jhuthan
‘कुआं ठाकुर का’ बताने पर लपकते ठाकुर के लठैत
सांसद मनोज झा ने संसद में दिए अपने भाषण में एक कविता क्या पढ़ी, दंभी जाति श्रेष्ठता के वर्चस्व का इन्द्रासन ही डोल उठा।...
प्रेमचंद और बहुजन साहित्य की अवधारणा (डायरी, 30 जुलाई, 2022)
समाज को कैसा होना चाहिए? इसका निर्धारण साहित्य के जरिए किया जाता रहा है। साहित्य की जिम्मेदारी यह है कि वह समाज की परिभाषा...
कितना झूठा था गाँव का मंजर
कभी गाँव को सहज, सरल और स्वाभाविक मानते हुए यह किवदंती प्रचलित हो गई थी कि भारत की आत्मा गांवों में निवास करती है।...