गोदान का प्रकाशन 1936 में हुआ था। प्रेमचंद ने तभी बता दिया था कि समाज बदलने वाला है और सामंतवाद का खात्मा होगा। गोदान में दो ही मुख्य पात्र हैं। एक तो होरी और दूसरा उसका बेटा गोबर। दोनों में जमीन--आसमान का अंतर है। एक होरी महतो है जो सामंती व्यवस्था को कबूल करने में भलाई समझता है तो दूसरी तरफ गोबर है जो अपने पिता से सवाल पूछता है कि आप बेगारी करने रोज क्यों जाते हैं? प्रेमचंद गोबर के माध्यम से यह दिखाते हैं कि धन-संपत्ति अर्जित करने का अधिकार अंग्रेजों ने सभी को दे दिया है और कोई भी मजदूरी कर अपना जीवन-यापन कर सकता है।
अपनी रचनाओं में रेणु बताते हैं कि कैसे सामाजिक सामंतवाद सामंतों को क्रूर बना देता है और इतना क्रूर कि वह उत्पीड़ित वर्गों का हिंसक तरीके से शोषण करने से भी गुरेज नहीं करता है। छुआछूत भी इसका ही हिस्सा है। लेकिन आर्थिक सामंतवाद अलग है। इसमें उत्पीड़ित वर्ग के प्रति लचीला रूख अपनाया जाता है।

‘राष्ट्रपति और राष्ट्रपत्नी’ विवाद का सबसे सटीक हल (डायरी,29 जुलाई 2022)
नवल किशोर कुमार फ़ॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं।
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