वर्ष 2019 में बस्ती की चंद्रावती देवी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने अनुच्छेद 23 के अंतर्गत एक फैसला सुनाया था जिसमें उन्होंने कहा था कि 'किसी भी पुरुष या महिला को न्यूनतम वेतन से कम देना मूल वेतन के अधिकारों का हनन है।' उस हिसाब से किसी भी कुशल मजदूर का प्रतिदिन का वेतन न्यूनतम 410 रुपये होना चाहिए। किंतु वे 70 रुपये में ही अपना गुजरा-बसर करने के लिए मजबूर हैं।