नायगाँव पूर्व के निवासी पिछले 18 वर्षों तक टैंकर द्वारा महंगा पानी खरीद कर पीने को मजबूर थे। इस उम्मीद में कि एक दिन सरकारी पानी जरूर मिलेगा। दो साल पहले मिला भी था। लोग बहुत खुश हुए थे। लेकिन फिर पिछले सात-आठ महीनों से सरकारी पानी की सप्लाई जान-बूझकर आधी कर दी गई है। फिर से टैंकर का पानी शुरू हो गया है। अब फ्लैट लेने वाले बेचने की फिराक में लग गए हैं, लेकिन जितने में खरीदा है, उतना दाम अब नहीं मिल पा रहा है।
लाखों की संख्या में यहाँ लोग रहते हैं। हिन्दू, क्रिश्चियन के साथ अच्छी संख्या मे मुस्लिम आबादी भी यहाँ है। यहाँ के ज्यादातर लोग मध्यवर्गीय या निम्न मध्यवर्गीय समाज से हैं। यह वह समाज है जो एडजस्ट करने का हुनर पेट से लेकर ही पैदा होता है। पानी की सप्लाई लाइन बिछी हुई है पर पानी कभी-कभार ही आता है। जिसकी वजह से पानी यहाँ का सबसे बड़ा बिज़नस बना हुआ है। घरेलू कामों के लिए टैंकर से पानी का व्यापार चल रहा है तो प्यास बुझाने के लिए प्यूरीफाई पानी बोतलों में बंद कर बेंचा जा रहा है। शायद दुर्भाग्य ही है कि यहाँ के लोगों को अभी कोई ऐसा नेता नहीं मिला है जो इनके हित में संघर्ष कर सके।