जब भी हम किसी गाँव में चुनाव की ग्राउंड रिपोर्ट के लिए जाते हैं तो कुछ लोग राममन्दिर, देश की सुरक्षा और धारा 370 की बात करते हैं। ऐसे लोगों की बात से दूसरे लोग भी भ्रमित और प्रभावित होते हैं। कुछ देर बात करने के बाद ही लोगों की वास्तविक समस्याएँ सामने आती हैं। मिर्ज़ापुर जिले के सिंधोरा गाँव के लोगों में भी आर्थिक स्तर पर कई धड़े हैं जिनकी अपनी ऐसी समस्याएँ हैं कि उनका हल दूर-दूर तक निकलता नहीं दिखता। अब देखना यह है कि जिंदगी की बुनियादी चुनौतियों से जूझ रहे लोग लोकसभा चुनाव में बदलाव लाना चाहेंगे या पुराने प्रतिनिधि पर ही भरोसा कायम करेंगे।
ऐसा ही आंदोलन सन दो हजार उन्नीस की पहली जनवरी से शुरू हुआ था, जब मांझी समुदाय ने पहली बार गंगा में क्रूज चलाने के विरोध में नावें किनारे से बांध दी और अस्सी से राजघाट तक अपील की कि कोई भी अपनी नाव नहीं चलाएगा। मांझी समुदाय की मांग थी कि क्रूज को पहले से तय किए गए रास्ते खिड़किया घाट से दशाश्वमेघ घाट तक ही चलाया जाए न कि अस्सी घाट तक। वैसे तो पूरा मांझी समुदाय क्रूज के संचालन से ही नाराज था लेकिन जब उद्घाटन हो गया तो उन लोगों ने क्रूज को तय रास्ते पर चलाए जाने की मांग रखी।