राज्य में पर्वतीय समुदाय की आजीविका की आस कृषि है। लेकिन वह भी बदलते जलवायु परिवर्तन के प्रहार से जूझ रही है। जिसकी वजह से किसानों की नई पीढ़ी इसे छोड़कर रोज़गार के लिए शहरों की ओर पलायन कर रही है। जल्द ही ऐसा समय आएगा जब गांव में मकान तो होंगे लेकिन उसमें रहने वाला कोई नहीं होगा। मकानों में ताले ही देखने को मिलेंगे। ऐसी स्थिति में विकास किस प्रकार संभव हो सकेगा?
21 सालों के सफर में जहाँ राज्य ने कई कीर्तिमान बनाये हैं वहीं कई स्तर पर कई तरह की चुनौतियाँ आज भी मौजूद हैं। यह सच है कि कोविड जैसी वैश्विक महामारी ने पिछले डेढ़ दो सालों में जान माल का भारी नुक़सान तो किया ही, विकास की गति को भी अवरुद्ध किया है। जिसकी वजह से राज्य के कुल बजट की राशि का अभी तक लगभग 31 प्रतिशत ही खर्च हो पाया है जबकि वित्तीय वर्ष समाप्ति के मात्र चार पांच महीने ही शेष बचे हैं।