Friday, November 22, 2024
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पर्यावरण में जहर घोलता सिंगल यूज प्लास्टिक

राजस्थान। पिछले दशकों में पर्यावरण का तेज़ी से क्षरण हुआ है और प्लास्टिक ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है। ख़ासकर सिंगल यूज प्लास्टिक ने...

प्लास्टिक सामग्रियां छीन रही हैं बसोर समुदाय का पुश्तैनी धंधा

40 वर्ष पहले 4 इंच मोटा व 18 फुट लंबा बांस डेढ़ रुपये में आता था। उससे छोटी बड़ी करके 4 डलिया बना लेते थे। अब उससे पतला और कम लंबाई वाला बांस 30 से 35 रुपये में खरीदना पड़ रहा है। उससे डलिया भी दो ही बन पाती हैं। अच्छा बांस असम से मंगवाना पड़ता है, जो 150 रुपये का एक मिलता है। गणेशी बाई कहती हैं कि पहले प्लास्टिक से बनी डलिया, सूपा, टोकरी, छबड़ी, तस्ला, मघ, बाल्टी, गिलास, डोआ, पंखा, टपरी जैसी सामग्री दूर-दूर तक नहीं थी इसलिए बांस से बनी सामग्री खूब बिकती थी।

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