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मिर्ज़ापुरी कजरी और लोककवि बफ्फत शेख एक दूसरे के पर्याय हैं
मिर्जापुरी कजरी को आज जो भी मुकाम हासिल है उसमें बप्फ़त का केंद्रीय योगदान है। कहा जा सकता है कि वह मिर्जापुरी कजरी के पितामह थे। वह वैसे ही थे जैसे आगरे में नज़ीर अकबराबादी थे।
मशहूर शायर मुनव्वर राणा के निधन से देश भर में शोक
उर्दू शायरी की दुनिया के प्रतिष्ठित और बड़े नाम मुनव्वर राणा के निधन से शायरी की दुनिया की एक जगह खाली हो गई।
कुछ और कम हुआ बनारस, जस की तस धर दीनी चदरिया, नहीं रहे अलकबीर
‘जीवन का यह एक नजरिया, भिगो ना पाये मय का दरिया, साकी तेरे दर की गुजरिया, जस की तस धर दीनी चदरिया’। इस शायरी के शायर अलकबीर आज सुबह इस दुनिया को अलविदा कह देह की चादर को जस की तस धर-सहेज कर चले गए। बनारस के जाने-माने शायर और ‘गाँव के लोग’ पत्रिका के प्रबंध संपादक रहे अलकबीर का इंतकाल बनारस की रंगत को कुछ और फीका कर देने वाले आघात की तरह है। 76 वर्षीय अलकबीर ने जगतगंज स्थित अपने आवास पर आज अंतिम साँस ली। अलकबीर के इंतकाल की ख़बर सुनते ही साहित्य जगत के साथ उनके चाहने वालों की आँखें नम हो गईं। वह अपने पीछे दो बेटे, एक बेटी और पत्नी का भरा-पूरा परिवार छोड़ गए।

