डॉ काशी प्रसाद जायसवाल, जिन्हें अद्वितीय धरोहर के रूप में सहेज-सँजोकर रखने की जरूरत थी, जिसे देश के प्रतिनिधि चेहरे के तौर पर दुनिया के सामने रखा जाना चाहिए था, पर दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। इस देश को जिस पर गर्व करना चाहिए था उस व्यक्ति को इस देश के घृणित जातिवाद ने हाशिये पर धकेलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।