लोकसभा चुनावी भाषणों में अराक्षण और संविधान को लेकर मोदी और संघ के सुर इधर बदले हुए सुनाई दे रहे हैं लेकिन वास्तविकता यही है कि आरएसएस और भाजपा का निर्माण हिंदुत्ववादी विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए हुआ। इस कारण संघ अपने जन्मकाल से लेकर आज तक लोकतंत्र, संविधान, सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता का स्वाभाविक हिमायती न बन सका। आज भी 400 सीट पाने का मुख्य उद्देश्य आसानी से संविधान में बदलाव करते हुए आरक्षण को पूरी तरह से खत्म करना है।
कुछ भाजपा नेताओं द्वारा 400 पार के पीछे संविधान बदलने की मंशा जाहिर किए जाने के बाद संविधान और आरक्षण बचाना चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है, जिस कारण आरक्षित वर्ग गर्मी की परवाह किए बिना वोट देने के लिए निकल रहा है।
किसी भी देश का विकास तब तक संभव नहीं है जब तक कि वहां के किसानों, मजदूरों, आदिवासियों और महिलाओं की आर्थिक उन्नति नहीं होती और उनकी आर्थिक उन्नति के लिए जरूरी है, उनकी सामाजिक सहभागिता। बहुजन डाइवर्सिटी मिशन’(बीडीएम) ने इस क्षेत्र में प्रयास शुरू किए हैं।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के संख्त होने के बाद भी योगी सरकार मस्त है, उसे किसी की कोई चिंता नहीं है। सरकार के ऐसे उदासीन रवैए से आक्रोशित छात्र अपने आन्दोलन को लगातार जारी रखा है।