अपनी जड़ों से कटकर विस्थापित होना इस देश के आदिवासियों की नियति बन चुकी है क्योंकि तथाकथित विकास अब जंगलों से होता हुआ उन हिस्सों में पहुँच चुका है, जहां आदिवासी कम संसाधनों में ही अपना जीवनयापन कर रहे हैं। रॉबर्ट्सगंज के चुर्क इलाके में घसिया बस्ती में रहने वाले आदिवासियों को दूसरी बार विस्थापित करने की तैयारी सरकार कर चुकी है। फिलहाल वे सरकारी जमीन पर ही पिछले 35 वर्षों से रह रहे हैं लेकिन विस्थापन की सूचना आते ही वे डरे और घबराए हुए हैं। पढ़िये, उनकी स्थिति का जायज़ा लेने पहुंचे अमरनाथ अजेय की ग्राउंड स्टोरी
हर साल बरसात में गिर रहे पानी को लेकर उच्चाधिकारियों का ध्यानाकर्षण कराया जाता रहा है मगर इसकी ओर न किसी का ध्यान ही गया और न ही आज तक कोई समाधान निकल पाया। यहां तक की इस लंबे फ्लाईओवर में जितनी जगह जोड़ है उन ज्यादातर जोड़ों से पानी झर-झर कर नीचे की सड़क पर गिरता है। जिससे नीचे चलने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।