गांव में हर किसी की अपनी अलग अलग कहानियां होती हैं, जो उनके संघर्ष को दर्शाती है लेकिन यह तभी संभव हो सकता है जब हर व्यक्ति को उसकी मेहनत का सही फल मिले और उनके सपनों को पूरा करने का अवसर मिले ग्रामीण इलाकों में विकास की कहानी केवल योजनाओं और नीतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन लोगों की भावनाओं, संघर्षों और सपनों का प्रतिबिंब है जो दिन-रात मेहनत करके अपने जीवन को सुधारने की कोशिश करते हैं। लेकिन हर बार सफल नहीं होते।
राज्य में आय का एक बड़ा स्रोत होने के बावजूद ग्रामीण रोज़गार के लिए शहर जाने को मजबूर हो जाते हैं। दूसरी ओर इन संसाधनों के अंधाधुंध इस्तेमाल से अब यह सीमित मात्रा में रह गए हैं। यदि तेज़ी से संसाधनों का पलायन न रोका गया तो उत्तराखंड और विशेषकर उसके ग्रामीण क्षेत्रों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि मानव की अपेक्षाएं असीमित हैं, लेकिन प्राकृतिक संसाधनों की मात्रा सीमित है।
बोले अनुज कुमार सिंह: नाबार्ड का उदेश्य महिलाओं के सामाजिक समस्याओं का नीराकरण करना है
बड़ागाँव (वाराणसी)। “मजदूर दिवस” के अवसर पर प्रगति पथ फ़ाउंडेशन...