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महिलाओं के आजीविका का साधन बन रहा है हस्तशिल्प

बोले अनुज कुमार सिंह: नाबार्ड का उदेश्य महिलाओं के सामाजिक समस्याओं का नीराकरण करना है बड़ागाँव (वाराणसी)। “मजदूर दिवस” के अवसर पर प्रगति पथ फ़ाउंडेशन द्वारा राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के सहयोग से सूक्ष्म उद्यमिता विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को पंद्रह दिवसीय मूँज क्राफ्ट और मचिया निर्माण […]

बोले अनुज कुमार सिंह: नाबार्ड का उदेश्य महिलाओं के सामाजिक समस्याओं का नीराकरण करना है

बड़ागाँव (वाराणसी)। “मजदूर दिवस” के अवसर पर प्रगति पथ फ़ाउंडेशन द्वारा राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के सहयोग से सूक्ष्म उद्यमिता विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को पंद्रह दिवसीय मूँज क्राफ्ट और मचिया निर्माण प्रशिक्षण का समापन व प्रमाण-पत्र वितरण कार्यक्रम का आयोजन बड़ागाँव के ब्लॉक सभागार में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उपायुक्त स्वनियोजन दिलीप सोनकर रहे। अध्यक्षता नाबार्ड वाराणसी के सहायक महाप्रबन्धक अनुज कुमार सिंह ने किया। विशिष्ट अतिथि खण्ड विकास अधिकारी बड़ागाँव धर्मेंद्र द्विवेदी, एलडीएम ऑफिस यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के गौरव कुमार, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला मिशन प्रबन्धक श्रवण कुमार सिंह, प्रगति पथ फ़ाउंडेशन की महासचिव नीलम पटेल रहीं। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर हुआ। अतिथियों ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाए गए मूँज क्राफ्ट और मचिया के हस्तशिल्प उत्पाद की प्रदर्शनी का अवलोकन कर उनको प्रमाण-पत्र वितरित किया।

महिलाओं को सम्मानित करते हुए

अध्यक्षता कर रहे अनुज कुमार सिंह ने कहा कि जीवन में विकास एक सतत प्रक्रिया है। ग्रामीण महिलाओं के पास हुनर तो है लेकिन उनके आर्थिक विकास में सबसे बड़ी बाधा पूंजी व बाज़ार की जानकारी का अभाव है। नाबार्ड का उदेश्य समूहों के द्वारा महिलाओं का केवल आर्थिक विकास करना नहीं है, बल्कि उनके सामाजिक समस्याओं का नीराकरण करना है। मुख्य अतिथि दिलीप सोनकर ने कहा कि ग्रामीण महिलाओं में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, बस आवश्यकता है इनको निखारने की। इस कार्य को प्रगति पथ फ़ाउंडेशन बखूबी रूप से कर रही है। प्रगति पथ द्वारा गठित स्वयं सहायता समूहों को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से आरएफ़ और सीआईएफ़ की उपलब्धता की जा सकती है, बस समूह की दीदियों को यह प्रतिज्ञा लेनी होगी कि अपने इस कार्य में रुकेंगी नहीं बल्कि और आगे बढ़ेंगी।

धर्मेंद्र द्विवेदी ने कहा कि ग्रामीण कला धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है। इस बीच प्रगति पथ फ़ाउंडेशन इस कला को पुनर्जीवित करने का सराहनीय कार्य कर रहा है। महिलाओं को अपने डिजाइन में और नवाचार करने की आवश्यकता है। बाज़ार के अनुरूप हस्तशिल्प उत्पाद बनाकर इसका दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है। गौरव कुमार ने कहा कि जिसने व्यवसाय के लिए बैंक से पूंजी लिया वही अच्छा व्यवसायी है। बैंक द्वारा समूहों को ऋण, मुद्रा ऋण, एक जनपद एक उत्पाद, किसान क्रेडिट कार्ड आदि योजनाएँ सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं। श्रवण कुमार सिंह ने कहा कि महिलाएं स्थानीय मार्केट में अपना प्रॉडक्ट बेचें, जिससे उत्पाद के बारे में फीडबैक मिल सके। इससे वे आर्थिक रूप से भी मजबूत होंगी।

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कार्यक्रम में मचिया प्रशिक्षक जियालाल और मूँज क्राफ्ट प्रशिक्षिका मुन्नी देवी को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया। संचालन संस्था के अध्यक्ष दीपक पुजारी ने किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के विक्रम व ब्लॉक मिशन प्रबन्धक मनोज कुमार उपस्थित रहे। कार्यक्रम में प्रगति पथ फ़ाउंडेशन के मनोज कुमार, अजित कुमार त्यागी, पूजा शर्मा व गौतम राम ने सहयोग किया। कार्यक्रम में विकासखण्ड बड़ागाँव के पंद्रह समूहों की महिलाएं उपस्थित रहीं।

राजकुमार गुप्ता सामाजिक कार्यकर्ता हैं।

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