पिछले कुछ वर्षों से हमारे देश में ऑनलाइन सिस्टम काफी तेजी से अपने जड़ें जमा चुका है। सारे कार्य ऑनलाइन हो चुके हैं फिर चाहे वो सरकारी हो या गैर सरकारी। लेकिन फिर भी देश की आधी आबादी तक यह ऑनलाइन सिस्टम नहीं पहुँच पाया है, कारण है अभी भी शिक्षा की कमी। शिक्षा के अभाव में आज भी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को सरकारी योजनाओं की सूचना नहीं मिल पाती और न ही वे इन योजनाओं का लाभ उठा पाते हैं।
गांवों के बारे में अपने विचार को, ‘गांव’ शब्द को, गांव और शहर के बीच के फर्क और दोनों में फर्क बताने वाले तरीकों को दिमाग में रखकर आप सुधार के नाम पर जो कुछ भी करेंगे, उससे आने वाला बदलाव उतना ही होगा जैसा ‘पारायर’ और ‘चकिलियार’ जातियों के नाम बदलकर ‘हरिजन’ और ‘आदि द्रविड़ार’ करने से आया है। सच्चा बदलाव कभी नहीं आएगा जिससे ‘पारायर’ दूसरे मनुष्यों के बराबर हो जाते। हो सकता है कि ‘ग्राम्य सुधार कार्यों की मार्फत एक गांव अच्छा गांव’ बन जाए, लेकिन गांव के लोगों को कभी भी शहरी लोगों जैसे अहसास या अधिकार नहीं मिल पाएगा। पेरियार का प्रसिद्ध भाषण।