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मंडल कमीशन और जाति जनगणना : शाहूजी महाराज ने सबसे पहले वंचितों को आरक्षण दिया
मंडल आयोग ने पूरी योजना लागू करने के बीस साल बाद इसकी समीक्षा करने की भी सिफारिश की थी। आरक्षण की समीक्षा की बात होती है पर मंडल आयोग की नहीं। सामाजिक-शैक्षणिक पिछड़ापन, गरीबी का मुख्य कारण जाति के कारण उत्पन्न बाधाएं हैं तो ऐसे में मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू कर सामाजिक न्याय कायम किया जाए. वर्ण-जाति श्रेणी क्रम आधारित असमानता तोड़ने या कम करने का अभी तक केवल आरक्षण ही कारगर उपाय साबित हुआ है।
शिक्षा के प्रसार के लिए आज से सौ वर्ष पहले ही शाहूजी महाराज ने अनिवार्य और नि:शुल्क प्राथमिक शिक्षा शुरुआत की थी
देश में अनिवार्य और निशुल्क शिक्षा से सम्बंधित कानून वर्ष 2002 में 86वें संशोधन के माध्यम से लागू किया गया अर्थात इसे लागू हुए अभी मात्र 20-22 वर्ष ही हुए है लेकिन आज से सौ वर्ष पहले छत्रपति शाहूजी महाराज ने अपने राज्य कोल्हापुर में वंचित और बहुजन समाज के बच्चों को शिक्षित करने का नियम बनाया। महाराष्ट्र की धरती पर स्थित एक छोटे से राज्य कोल्हापुर के छत्रपति शाहूजी महाराज ने अपने राज्य की जनता के कल्याण की भावना से जो कार्य किए और साथ ही वंचितों, उपेक्षितों, शोषितों, निराश्रितों, अछूतों, शापितों, ताड़ितों और नारियों के उत्थान के लिए जो चुनौतीपूर्ण सफल संघर्ष किया वैसा उदाहरण पूरे विश्व के इतिहास में किसी शासक का किसी कालखंड में नहीं मिलता।
बहुजन समाज को शिक्षा से जोड़ने में अहम भूमिका निभाने वाले नायक थे शाहूजी महाराज
राजर्षि शाहूजी महाराज वंचित समाज के उद्धारक के रूप में याद किये जाते हैं। शाहूजी महाराज का जन्म 26 जून 1874 को कोल्हापुर के...
आरक्षण पर शाहूजी महाराज का संघर्ष
शाहूजी महाराज की 100वीं पुण्यतिथि पर विशेष
सदियों से अपने हाथ में लेखनी न रहने के कारण हमारा अपना इतिहास वर्ण व्यवस्था में शीर्ष पर...
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