भारतीय स्त्री ने खुद के साथ हुई बेईमानी की शिकायत कभी नहीं की और सिर्फ अपने फायदे के बारे में कभी नहीं सोचा। उसने नदियों की तरह सभी की भलाई के लिए काम किया है और मुश्किल वक्त में हिमालय की तरह अडिग रही हैं।' इस तरह की पोस्ट के साथ उन्होंने यह बताने की पूरी कोशिश की है यह उनकी पार्टी का सपना है जो लंबे वक्त के बाद पूरा हो रहा है और इस सपने के साथ आगे बढ़ने के लिए कांग्रेस ने भाजपा को धन्यवाद भी दिया है।
संसद से यह सवाल भी किया जाना चाहिए कि क्या आरक्षण के भीतर भी आरक्षण की स्थिति साफ की जाएगी या फिर सिर्फ आरक्षण महज विशिष्ट वर्ग की महिलाओं तक ही सीमित रहेगा? यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आरक्षण के जिस विधेयक को अब मंजूरी मिली है वह पिछले 27 साल से राजनीतिक गतिरोध का शिकार होता रहा है।
कांग्रेस के अतिरिक्त विपक्ष के सभी बड़े दलों के प्रदेश स्तरीय होने से उनके हितों में कोई आपसी टकराव नहीं होगा किन्तु कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है और देश के लगभग सभी राज्यों में कम-ज्यादा उसकी राजनीतिक हिस्सेदारी है। इस वजह से वह राज्य में कांग्रेस को स्थानीय पार्टियों के साथ समझौता करना पड़ेगा। इसके अलावा कुछ पार्टियां उन राज्यों में भी चुनाव लड़ने की बात कर सकती हैं जहां वह जिताऊ स्थिति में नहीं है लेकिन 2 से 6 प्रतिशत तक की वोट की हिस्सेदारी कुछ सीटों पर उनके पास है।