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राजस्थान : लड़कियों को खेल में आगे आने के अवसर लड़कों की तुलना में कम मिल पाते हैं

आज लड़कियां भी खेल में अपना करियर बना रही हैं लेकिन इसका अनुपात लड़कों की तुलना में फिर भी कम है। ग्रामीण क्षेत्रों में लडकियों में खेल का जूनून और जज्बा दोनों है लेकिन माहौल के साथ सुविधा के अभाव के चलते बहुत सी लड़कियां खेल में आगे नहीं आ पाती हैं। सरकार को चाहिए कि लड़कियों को आगे लाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में खेल के लिए विशेष ध्यान देते हुए उन्हें आगे लाने की योजना लानी चाहिए।

बिहार : पितृसत्तात्मक समाज में खेल में हिस्सा लेने के लिए आज भी संघर्ष करना पड़ता है किशोरियों को

'पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे साहब, खेलोगे-कूदोगे बनोगे ख़राब' यह कहावत एक समय बहुत प्रचलित थी क्योंकि तब खेल में आज जैसा करियर नहीं था। आज इसका उलट है, जब लोग खेल में अपना करियर बना रहे हैं। लड़कियों के मामले में आज भी यह कम दिखाई देता है क्योंकि समाज की सोच पितृसत्तात्मक है। लेकिन जिन लड़कियों को खेलने की अनुमति मिलती है, उन्हें खेल सुविधाओं के अभाव का सामना करना पड़ता है। सरकार भले ही लड़कियों को आगे लाने के लिए योजनायें ला रही है लेकिन अभी तक पर्याप्त सफलता नहीं मिल पाई है।

राजस्थान : प्रशासनिक बेरुखी से युवा खिलाड़ियों का भविष्य अधर में

किसी भी खिलाड़ी से खेल की सुविधाओं के बारे में पूछा जाता है तो उनका जवाब नकारात्मक ही होता है क्योंकि खेल सुविधाओं का अभाव है। खिलाड़ियों को आगे बढ़ने के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ता है। जबकि देश में एक अलग खेल मंत्रालय भी है, जिसका काम खिलाड़ियों के लिए संसाधन उपलब्ध करना है। डेढ़ अरब आबादी होने के बाद भी ओलिम्पिक, एशियाई या अन्य अंतर्राष्ट्रीय खेलों में कम पदक जीत पाने का एक कारण यह भी है।

रस्सी कूद : दुनिया में जिसकी गाथाएँ हैं वह भारत में टूर्नामेंट में भी नहीं शामिल है

रस्सी कूद एक लोकप्रिय और सबसे किफ़ायती खेल है जिसके लिए बहुत तामझाम की आवश्यकता नहीं पड़ती। खेल के इतिहास में रस्सी कूद में कई उतार-चढ़ाव आए लेकिन प्राचीनकाल से ही अनेक देशों में मौजूद यह खेल आज वैश्विक रिकॉर्ड वाला खेल बन चुका है। खेल के रूप में इसे बचाने के लिए रस्सी कूद विश्व संगठन FISAC-IRSF की स्थापना की गई जिसका उद्देश्य दुनिया भर में रस्सी कूदने के खेल को विकसित करना और लोकप्रिय बनाना था। लेकिन हमारे देश में यह खेल मर-मर कर जी रहा है। हाल के दिनों में हमने गौर किया कि मानव जीवन की दैनिक खेल गतिविधियों से कई खेल फिसड्डी होते गए हैं। इनमें रस्सी कूद भी शामिल है। अब इसे स्कूली टूर्नामेंट में भी शामिल नहीं किया जा रहा। हालांकि रोप जंप फेडरेशन ऑफ इंडिया इसके विकास के लिए लगा है। बेशक आज देश के पास इसके संस्थागत विकास के सारे संसाधन मौजूद हैं लेकिन मजबूत इच्छाशक्ति के अभाव में सारी चीजें महज़ औपचारिकता बनकर रह जा रही है।

खेलों में खिलाड़ी कभी हारता नहीं बल्कि खेलने का हौसला मिलता है – सुजीत यादव

जय बजरंग क्रिकेट स्पोर्टिंग क्लब, अतरसुआ (चीनी मिल ग्राउण्ड) नन्दगंज के तत्वावधान में क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन हुआ। नौ दिन चले इस टूर्नामेंट में खिलाड़ियों ने खेल भावना को मजबूत करने के लिए उत्साह से हिस्सा लिया।

भारतीय कुश्ती महासंघ निलंबन का शरद पवार ने किया स्वागत

पुणे (भाषा)। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को नवनिर्वाचित भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निलंबन का स्वागत किया लेकिन कहा कि...

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